नई दिल्ली: बजट 2023 की उलटी गिनती शुरू हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को इसे पेश करेंगी। हर किसी को इसका बेसब्री से इंतजार है। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि इसमें कई लोकलुभावन घोषणाएं हो सकती हैं। यह सीतारमण का चौथा बजट होगा। सबसे ज्यादा 10 बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है। हालांकि, आजाद भारत के इतिहास में कुछ नाम ऐसे भी हैं जो वित्त मंत्री तो बने, लेकिन बजट पेश नहीं कर सके। इसका एक कारण छोटा कार्यकाल था या फिर उनकी जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बजट पेश कर दिया। इनमें क्षितिज चंद्र नियोगी, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी का नाम शामिल है।
हेमवती नंदन बहुगुणा का नाम भी उन वित्त मंत्रियों में शामिल है जो वित्त मंत्री तो बने लेकिन यूनियन बजट पेश नहीं किया। इस बार भी छोटा कार्यकाल कारण रहा। बहुगुणा 1979 में तत्कालीन इंदिरा सरकार में साढ़े पांच महीने की अवधि के लिए वित्त मंत्री बने थे। इस अवधि में बजट नहीं पड़ा। वह बिना बजट पेश किए ही पद से हट गए थे। हेमवती नंदन बहुगुणा दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
वित्त मंत्री बनने के बावजूद आम बजट न पेश कर पाने वालों की लिस्ट में नारायण दत्त तिवारी का भी नाम आता है। एनडी तिवारी अपने जमाने के दिग्गज नेता थे। तीन बार वह उत्तर प्रदेश के सीएम बने। वह उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री थे। तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल भी रहे। 1987-88 में नारायण दत्त तिवारी वित्त मंत्री बने थे। तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। उस समय नारायण दत्त तिवारी की जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया था।