नई दिल्ली: मुश्किलों में घिरी दुनिया में इस वक्त कुछ ही देश बेहतर हालत में दिख रहे हैं। भारत इनमें से एक है। बजट में ऐसी कई घोषणाएं की गई हैं, जिनसे इकॉनमी को रफ्तार मिलेगी और भारत निवेशक का और भी आकर्षक ठिकाना बनेगा। टैक्स से जुड़े नियमों को सरल बनाने के साथ स्टार्टअप्स और मीडियम एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज को टैक्स के मामले में रियायतें दी गई हैं। ऐसे ही कदमों की जरूरत थी। इसके अलावा PAN को एक बेसिक डॉक्युमेंट के रूप में इस्तेमाल किए जाने और डिजिलॉकर का दायरा बढ़ाने जैसे कदमों से डिजिटाइजेशन की रफ्तार बढ़ेगी और फाइनैंशल सर्विसेज देने में आसानी होगी।
टैक्स रिबेट लिमिट को बढ़ाकर 7 लाख रुपये करने से कम आमदनी वाले लोगों को मदद मिलेगी, खासतौर से यह देखते हुए कि घर चलाने का खर्च बढ़ गया है। इनकम टैक्स के स्लैब्स घटाकर 5 करने के साथ टैक्सेशन को सरल बनाया गया है। कुलमिलाकर टैक्सेशन स्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
चूंकि मेरा काम कैपिटल मार्केट्स से जुड़ा हुआ है, तो उसकी बात करता हूं। यहां भी कुछ दिलचस्प बदलाव किए गए हैं। सेबी के पास अब नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट्स में फाइनैंशल एजुकेशन के स्टैंडर्ड तय करने का अधिकार होगा। लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत पैसे के ट्रांसफर पर टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स की दर 5 प्रतिशत थी, इसे 20 प्रतिशत किया जाएगा। इसका असर उन प्लैटफॉर्म्स पर पड़ेगा, जो विदेश में निवेश में मदद करते हैं और इंटरनैशनल क्रिप्टो इनवेस्टर्स को सेवा देते हैं। इसके अलावा मार्केट लिंक्ड डिबेंचर पर टैक्स की तस्वीर साफ की गई है। अब इन्हें डेड सिक्योरिटीज की तरह देखा जाएगा और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के बजाय इन पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस का मामला लागू होगा। इसका प्रभाव मुख्य रूप से हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स पर पड़ेगा।
मैक्रो लेवल पर देखें तो दुनियाभर में खराब हो रहा आर्थिक माहौल चिंता पैदा कर रहा है। अगर हालात और बिगड़े तो भारत पर भी असर पड़ेगा, लेकिन तुलनात्मक रूप से भारत का हाल ठीक बना रहेगा। हालांकि लंबी अवधि के लिहाज से बात करूं तो मैं भारत का दमखम बढ़ने पर दांव लगाऊंगा। रेगुलेशंस और टैक्सेशन को सरल बनाने के अलावा देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के इन उपायों से अच्छी आर्थिक तरक्की होगी।
अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हों, तो आपको बजट के आधार पर निवेश के फैसले नहीं करने चाहिए। अगर इन सभी उपायों से इकॉनमी का हाल अच्छा होगा, तो उसका असर कंपनियों के मुनाफे में दिखेगा और फिर उनके शेयर प्राइस में भी दिखेगा।
निवेश का फैसला करते समय आपको चार बातों का ध्यान रखना चाहिए
– अपनी जानकारी और कौशल बढ़ाने पर ध्यान दें। इससे आपको ज्यादा कमाई करने और ज्यादा निवेश करने में मदद मिलेगी।
– लंबी अवधि के लिए डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाएं। यानी एक ही सेक्टर या एक ही शेयर या एक ही एसेट में अधिकांश निवेश करने के बजाय अलग-अलग दमदार सेक्टरों और एसेट्स में निवेश करें।
– इक्विटी, बॉन्ड और गोल्ड में सोच-समझकर एलोकेशन करें।
– अपने इनवेस्टमेंट प्लान पर टिके रहें और नियमित रूप से निवेश बढ़ाते रहें।