(रिशाद प्रेमजी, बजट के लिए विशेष आमंत्रण के तहत)
भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जिसने पिछले तीन सालों में कई झटकों को डटकर सामना किया है। वित्त वर्ष 2023 में इसकी आर्थिक विकास दर (GDP ग्रोथ) 7 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है। जो कि विश्व की बड़ी इकॉनमी में सबसे तेज ग्रोथ है। लेकिन क्या यह आने वाले वक्त में भी मजबूत ग्रोथ दिखाएगा और मजबूती से डटा रहेगा? इसके साथ एक सवाल यह भी है कि क्या भारत 2047 तक विकसित देश बनने का अपना वादा पूरा कर पाएगा? इस विजन को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बेहद सूझबूझ वाला और संतुलित बजट पेश किया है। इस बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में भारी निवेश, ग्रीन ग्रोथ, युवाओं में कौशल विकास का खयाल रखा गया है। वित्त मंत्री ने बजट में जिस समावेशी विकास यानी इन्क्लूसिव ग्रोथ की बात कही है, उसके बारे में एक बड़ा सच यही है कि टेक्नॉलजी की उसमें बड़ी भूमिका होगी। इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी सेक्टर से देश को सालाना 250 अरब डॉलर की आमदनी मिलती है और इसमें 50 लाख लोग काम करते हैं। एक बड़ी बात यह भी है कि इन 50 लाख लोगों में से 36 फीसदी महिलाएं हैं। इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी सेक्टर ने जो यह मुकाम हासिल किया है, सवाल यह है कि उसे संजोते हुए कैसे आगे बढ़ाया जाए?
नहीं मिल रहे पेशेवर
आज देश की इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी इंडस्ट्री को कई क्षेत्रों में बेहतर पेशेवर नहीं मिल रहे हैं। इनमें रोबोटिक्स, ऑटोमेशन, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए इंडस्ट्री, एकेडेमिक जगह और सरकार को मिलकर काम करने की जरूरत है और उसके लिए एक व्यापक योजना बनानी होगी। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में सरकार ने लाखों युवाओं को ऑन जॉब ट्रेनिंग देने का संकल्प लिया है। इसके लिए इंडस्ट्री के साथ मिलकर काम किया जाएगा। इस योजना में कोडिंग, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और ड्रोन टेक्नलॉजी को शामिल किया गया है, जिसके लिए मैं सरकार का शुक्रगुजार हूं।
बजट में सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर काफी जोर दिया है। वह जीडीपी का 3.3 फीसदी निवेश इसमें करने जा रही है। इससे भारतीय इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी सेक्टर को भी फायदा होगा। अच्छी सड़कें, बिजली, क्वॉलिटी हाउसिंग, बेहतर रेल और एविएशन कनेक्टिविटी से छोटे शहरों को भी विकास में साझेदार बनाया जा सकेगा। हमारे बड़े शहरों में घनी आबादी रहती है और वहां कई सुविधाओं और सेवाओं को और बेहतर बनाने की जरूरत है। लंबे समय से देश में लोग वैसी जगहों पर जाने को मजबूर रहे हैं, जहां रोजगार हैं। अब हमें उन जगहों पर रोजगार को ले जाना होगा, जहां लोग रहते हैं, जहां के वे बाशिंदे हैं।
समावेशी विकास पर जोर
वित्त मंत्री ने बजट में समावेशी विकास पर भी जोर दिया। उन्होंने आर्थिक विकास का फायदा देश के सभी वर्गों तक पहुंचाने की बात कही। इसके लिए एक समान, हाई क्वॉलिटी एजुकेशन और हेल्थकेयर तक हर देशवासी की पहुंच होनी चाहिए। हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए ताकि बच्चों में तार्किक सोच पनपे। उन्हें मुश्किलों का हल तलाशने, लीडरशिप और बेहतर कम्युनिकेशन स्किल आनी चाहिए। यह तभी हो सकता है, जब शिक्षक भी अच्छे हों। हमें इसके लिए एकेडमिक और प्रशासन की मदद चाहिए होगी। यह भी पक्का करना होगा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में संसाधनों की कमी बाधा न बने। नैशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 का लक्ष्य भी यही है। सरकार ने इसके लिए नए टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम की संकल्पना की है। इसके साथ डिस्ट्रिक्ट इंस्टिट्यूट्स ऑफ एजुकेशन ऐंड ट्रेनिंग में भी बदलाव किया जा रहा है, जो इन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में अहम कदम है। यह भी याद रखना होगा कि अगर कोई बच्चा भूखा है या कुपोषित है तो उसे शिक्षित करने के बारे में सोचना नादानी होगी। मैं उम्मीद करता हूं कि नैशनल एजुकेशन पॉलिसी में शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का जो कमिटमेंट किया गया था, सरकार उस ओर बढ़ेगी। वहीं, 2047 तक सिकल सेल एनिमिया को खत्म करने का बजट में लिया गया संकल्प भी तारीफ के काबिल है।