नई दिल्ली: अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस अर्बाना- शैंपेन में 18 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी छात्र अकुल धवन की कथित तौर पर कई घंटों तक लापता रहने के बाद मौत हो गई थी. अकुल की मौत की यह घटना जनवरी में हुई थी. इलिनोइस में शैंपेन काउंटी कोरोनर के कार्यालय ने मामले पर इस हफ्ते कहा कि “भारतीय-अमेरिकी छात्र की मृत्यु शराब के नशे में होने और अधिक वक्त तक जरूरत से ज्यादा ठंडे तापमान में रहने के बाद हाइपोथर्मिया से हुई.”
छात्र 20 जनवरी को मृत पाया गया था और उसका शव अमेरिकी राज्य इलिनोइस के पश्चिम उरबाना में यूनिवर्सिटी परिसर के पास एक बिल्डिंग के पीछे से बरामद किया गया था. शव बरामद करने के बाद पुलिस को अकुल की मौत का कारण हाइपोथरममिया ही लगा था लेकिन कैंपस पुलिस मौत होने के असली कारणों की जांच कर रही थी.
क्लब में नहीं दी गई थी एंट्री
जानकारी के मुताबिक 20 जनवरी को रात को 11 बजकर 30 मिनट पर अकुल अपने दोस्तों के साथ ड्रिंक्स के लिए बाहर गया था. उन्होंने इसके लिए कैंपस के करीब स्थित कैनोपी क्लब में जाने का फैसला किया था. कंसास सिटी रिपोर्ट के मुताबिक, “स्टाफ ने अकुल को क्लब में एंट्री नहीं दी थी. उसने कई बार क्लब में जाने की कोशिश की लेकिन स्टाफ ने उसे अंदर जाने से मना कर दिया.”
बता दें कि इलिनोइस और मध्यपश्चिम के अधिकांश हिस्सों में जनवरी में भीषण ठंड और जमा देने वाली सर्दी होती है. ठंडी हवाओं के चलने के साथ यहां का तापमान -20 से -30 डिग्री तब भी चला जाता है. इसके बाद कई बार कॉल किए जाने के बाद भी अकुल ने जवाब नहीं दिया तो उसके एक दोस्त ने कैंपस पुलिस को उसे ढूंढने को कहा. पुलिस के मुताबिक एक अधिकारी ने “संभावित रास्ते” के पास “पैदल गति से” गाड़ी चलाकर धवन की तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला.
अगली सुबह विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी ने पुलिस और मेडिकल सर्विस को बिल्डिंग के पीछे एक शख्स के मिलने की जानकारी दी. पुलिस ने कहा कि जब वो मौके पर पहुंची तो उन्हें अकुल का शव मिला. अकुल के माता-पिता – ईश और रितु धवन ने कहा कि उनका बेटा फोन पर लोकेशन-ट्रैकिंग डेटा के आधार पर जहां उसके लापता होने की सूचना दी गई थी, वहां से सिर्फ 400 फीट की दूरी पर पाया गया.
द न्यूज-गजट के मुताबिक, धवन पिछले साल सितंबर में 18 वर्ष का हुआ था. वह अपने माता-पिता के विरोध के बाद भी रोबोटिक्स पढ़ने के लिए इलिनोइस के इलेक्ट्रिकल और कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में आया. हालांकि, उसके परिजन चाहते थे कि वह भारत में ही रहकर अपनी पढ़ाई खत्म करे.