नई दिल्ली: भारत का नाम एथलेटिक्स में रोशन करने वाली दिग्गज मुक्केबाज लैशराम सरिता देवी आज कल सुर्ख़ियों में छाई हुई हैं। जिसकी बड़ी वजह उनके द्वारा हासिल किया गया कोई कीर्तिमान नहीं बल्कि उनका बयान है. जी हां, सरिता के बयान ने सबके होश उड़ा दिए। उन्होंने मंगलवार 7 फरवरी को बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि कैसे वह एक बार उग्रवादी बनने की ओर चल पड़ी थी लेकिन बॉक्सिंग ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल दी।
सरिता ने कहा कि, ‘मैं उग्रवादियों से प्रभावित होकर उग्रवाद की तरफ बढ़ रही थी। मैं उनके लिए हथियार मुहैया कराती थी, लेकिन खेलों ने मुझे बदल दिया और मुझे अपने देश का गौरव बढ़ाने के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया।’
इसी के साथ लैशराम सरिता देवी ने आगे अपने बयान में इस बात का भी ज़िक्र किया कि उनके घर पर रोज़ाना तकरीबन 50 उग्रवादी आते थे. जिनसे वह प्रभावित हो गई थी और हूबहू उन्हीं की तरह बनना चाहती थी।
पूर्व विश्व चैंपियन ने बताया कि, ‘मैं एक छोटे से गांव में रहती थी और जब मैं 12-13 साल की थी तो हर दिन उग्रवादियों को देखती थी। घर पर रोजाना लगभग 50 उग्रवादी आते थे। मैं उनकी बंदूकें देखती थी और उनके जैसा बनना चाहती थी। मैं उग्रवाद की तरफ बढ़ रही थी।’ सरिता ने स्वीकार किया कि एक समय वह उग्रवादियों के हथियारों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करती थी।
मणिपुर के अमीनगांव की रहने वाली 40 वर्षीय सरिता देवी ने 2005 में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए गोल्ड मैडल जीता था। इसके अलावा वह लाइटवेट क्लास में भी वर्ल्ड चैंपियन रही हैं। बहरहाल, सरिता देवी को उनके करियर में आपार सफलताओं के चलते साल 2009 में अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा गया था।