नई दिल्ली: भारत के फाइटर जेट राफेल नाटो देशों के साथ वॉर गेम में हिस्सा लेने वाले हैं। राफेल की गरज से चीन और पाकिस्तान की टेंशन और बढ़ जाएगी। पहली बार विदेशी धरती पर भारतीय राफेल फ्रांसीसी सैन्य अभ्यास में अपना करतब दिखाने को तैयार है। इस सैन्य अभ्यास में नाटो देशों के हजारों सैनिक शामिल हैं। इस वॉर गेम में भाग लेने के लिए भारतीय लड़ाकू विमानों के अप्रैल के मध्य तक फ्रांस पहुंचने की संभावना है। यह एक मल्टीनेशनल वॉर गेम है। यह वॉर गेम फ्रांस में फरवरी में शुरू हुआ था, मई की शुरुआत तक समाप्त होने वाला है।
राफेल का पहला विदेशी दौरा होगा
यह भारतीय राफेल जेट के लिए पहला विदेशी दौरा होगा, अभी 36 राफेल फाइटर जेट भारतीय वायुसेना को सेवा दे रहे हैं। राफेल भारत का सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान है और यह 200 किमी की रेंज वाली उल्कापिंड हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और 300 किमी से अधिक रेंज वाली SCALP हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। भारत और फ्रांस नियमित रूप से द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास करते हैं, जिसमें हवाई अभ्यास की गरुड़ श्रृंखला भी शामिल है, लेकिन हाल ही में बहुपक्षीय युद्ध खेलों में तेजी से भाग ले रहे हैं। मार्च के मध्य में, भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में Ex La Perouse में भाग लिया, जिसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूके शामिल थे।
क्या है वॉर गेम में खास?
इस मल्टीनेशनल वॉर गेम की पृष्ठभूमि में रूस-यूक्रेन युद्ध की झलक दिख रही है। युद्धाभ्यास के दौरान एक काल्पनिक देश ‘अरलैंड’ हैं, जो फ्रांस से ताल्लुक रखता है। अरलैंड पर उसके पड़ोसी ताकतवर देश ‘मर्क्योर’की ओर से हमला कर दिया जाता है। मर्क्योर की ओर से एक अलगाववादी उग्रवादी बल की स्थापना की जाती है। अरलैंड अपने सहयोगियों से आक्रमण के खिलाफ मदद की अपील करता है।