नई दिल्ली: यमन संकट हो, यूक्रेन या कोरोना काल… दुनिया में फंसे अपने लोगों को स्वदेश लाने के लिए भारत ने हरसंभव प्रयास किए हैं। एक बार फिर परदेस में रह रहे भारतीय मुश्किल में है और इस बार खतरा अफ्रीकी देश सूडान में है। वहां देश की सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के सैनिकों के बीच लड़ाई छिड़ गई है। 415 लोगों की जानें जा चुकी हैं और हजारों की संख्या में लोग घायल हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक कर भारतीयों को वहां से निकालने के विकल्पों पर चर्चा की। समझा जा रहा है कि सूडान में 3,000 से ज्यादा भारतीय फंसे हो सकते हैं। पीएम ने तेजी से बदलते सुरक्षा हालात और विभिन्न विकल्पों की व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए इमर्जेंसी में सुरक्षित तरीके से निकासी योजनाएं तैयार करने का निर्देश दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो दिन पहले इसी मुद्दे पर यूएन के महासचिव से बात की थी। फिलहाल वह गुयाना के दौरे पर हैं, लेकिन इस बैठक में वह भी ऑनलाइन शामिल हुए। पीएम की बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सूडान में भारत के राजदूत, एयरफोर्स और नेवी के प्रमुख, विदेश और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के अलावा वरिष्ठ राजनयिक भी जुड़े।
इधर, ईद पर सूडान में 72 घंटे के सीजफायर की खबर आई है। समझा जा रहा है कि इस दौरान भारत सरकार अपने इमर्जेंसी प्लान पर आगे बढ़ सकती है।पीएम ने सभी अधिकारियों को घटनाक्रम पर करीब से नजर रखने और भारतीयों की सुरक्षा का लगातार मूल्यांकन करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि हिंसा प्रभावित क्षेत्र में भारतीयों को हरसंभव सहायता पहुंचाई जाए। इससे पहले मीटिंग में प्रधानमंत्री को सूडान की ताजा स्थिति से अवगत कराया गया और जमीनी हालात की समीक्षा की गई। मोदी ने पिछले हफ्ते गोली लगने से घायल एक भारतीय नागरिक की मौत पर शोक व्यक्त किया।
पीएम की बैठक में एयरफोर्स चीफ और नेवी के प्रमुख की मौजूदगी से साफ है कि भारत सरकार सूडान से भारतीयों को हवाई या समुद्री मार्ग से निकालने पर विचार कर रही है। जिस तरह से यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए अभियान चलाया गया था, कुछ वैसा ही सूडान में देखने को मिल सकता है। पड़ोसी देशों में प्लेन भेजकर भारतीयों को निकाला जा सकता है। सूडान के पास सऊदी अरब और मिस्र से विदेश मंत्री की चर्चा की भी यह बड़ी वजह है। हो सकता है कि भारतीय नौसेना के जहाज अदन की खाड़ी से होकर अपने लोगों को निकाले।