जाने-माने निर्देशक विशाल भारद्वाज के बेटे आसमान भारद्वाज की डेब्यू फिल्म कुत्ते में आप नसीरुद्दीन शाह , कोंकना सेन, तब्बू, कुमुद श्रीवास्तव जैसे सीनियर कलाकारों के साथ हैं, अनुभव कैसा रहा?
-सच कहूं, तो ट्रेलर लॉन्च के बाद महसूस हुआ कि अरे मैंने इतने दिग्गज कलाकारों के साथ काम भी कर लिया? मैं इनके साथ खड़ी कैसे रह पाई? मगर एक बात तय है कि सीखा बहुत कुछ है इनसे। ये चलती-फिरती स्कूल हैं। ये आपको सिखाते हैं कि कैसा इंसान होना चाहिए? कैसा एक्टर होना चाहिए? मैं इनकी तरह का इंसान और अदाकार बनना चाहूंगी। काम करके बहुत मजा आया। सब एक-दूसरे को वैनिटी वैन में खाना भिजवा दिया करते थे या फिर मिठाइयां। खूब हंसी-मजाक हुआ। मेरे ज्यादातर सीन शार्दुल और नसीर साहब के साथ थे, मगर सभी के साथ अनुभव यादगार रहा। मेरे लिए घर जैसा माहौल था।
पटाखा में आपको विशाल भारद्वाज ने निर्देशित किया, जबकि इस फिल्म में आपने उनके बेटे आसमान के डायरेक्शन में काम किया, क्या फर्क था?
-जिस वक्त मैं पटाखा कर रही थी, उस वक्त आसमान सेट पर कंटिन्यूटी डायरेक्टर हुआ करते थे। हम दोनों हम उम्र हैं, तो हमारी खूब पटती थी। हम लोग खूब चिल करते साथ में, घूमते-फिरते। उस वक्त वे पढ़ाई कर रहे थे और ब्रेक पर आए हुए थे। असल में वे एक स्क्रिप्ट लिख रहे थे और तब मैं इस बात से अनजान थी कि वो स्क्रिप्ट कुत्ते है। फिर मुझे फिल्म ऑफर हुई और मैं कह सकती हूं कि आसमान की जड़ें वही हैं, सुर वही है, मगर दोनों ही अलग-अलग इंडिविजुअल्स हैं। आसमान का थॉट प्रोसेज अलग और फ्रेश है। उसमें एक डेरिंग है। विशाल जी जीनियस हैं। वो परदे पर मैजिक क्रिएट करते हैं। मुझे लगा नहीं कि आसमान उनका बेटा है, मगर फिर भी लगा कि बेटा है। इनके साथ मेरा घर जैसा रिश्ता है। मैं अपने हर प्रॉजेक्ट से पहले विशाल जी को मेसेज करके उनका आशीर्वाद लेती हूं।
आप उन खुशकिस्मत अभिनेत्रियों में से हैं, जिन्हें इरफान खान जैसे लीजेंड अदाकार के साथ काम करने का मौका मिला, उनसे आपका सबसे बड़ा टेक अवे क्या था? क्या यादें रहीं?
-सबसे बड़ा टेक अवे यही रहा कि वे अपने काम में झूठ नहीं बोलते थे। मुझे याद है, हमारा एक ड्रग सीन था, जिसमें मैं पहली बार शराब पीकर आती हूं और मुझे उनको आश्वश्त करना होता है कि मैंने पी नहीं है। उस सीन से पहले मैंने और निर्देशक ने खूब रिहर्सल की थी और अपने हिसाब से एक टोन सेट कर लिया था, मगर जब वे आए और सीन शुरू हुआ, तो उन्होंने कहा, मैं पकड़ लेता हूं, तुम एक्टिंग कर रही हो, तो हम लग तब तक रिहर्सल करते रहे, जब वे मुझे नहीं पकड़ पाए। उन्होंने शूट ही नहीं किया। उनको पांच-छह वेरिएशन देने के बाद भी वे संतुष्ट नहीं थे। उनका कहना था, हां अब मैं थोड़ा कन्फ्यूज हो रहा हूं असल में मेरा काम था उनको कनविंस करना कि मैं नशे में नहीं हूं और मैं वो नहीं कर पा रही थी। कई रिहर्सल के बाद हमने वो सीन पूरा किया था। वे बेहद ही विनम्र इंसान थे। उनमें कोई खोट और कपट नहीं था, इसलिए उनके होने में वो सचाई झलकती थी।
क्या सेट पर कभी आपको ये अहसास हुआ कि वे कैंसर जैसी इतनी बड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं और उनकी जिंदगी उनके हाथ से रेट की तरह फिसल रही है? वे कभी उदास या निराश लगे?
-मेरे निर्देशक और इरफान सर ने असल में सेट पर मुझे काफी प्रॉटेक्टेड रखा। सेट पर मुझे कभी ये महसूस ही नहीं होने दिया कि वे इतने गंभीर रूप से बीमार हैं। हो सकता है, उन्हें लगा हो कि मैं नई हूं।मैं जब उनके साथ काम कर रही थी, तब मुझे भी यही बताया गया था कि वे रिकवर हो रहे हैं और इससे निकल जाएंगे। वे सेट पर काफी खुश रहा करते थे। उनको देख कर आपको अंदाजा भी नहीं हो सकता था कि कभी ऐसी चीज हो भी सकती है। वे कहते भी यही थे कि मैं जी इसलिए पा रहा हूं कि मैं काम कर रहा हूं। काम करते हुए मैं जीता हूं और इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है। मुझे याद है, हम लोगों की शूटिंग चल रही थी और हम लोग होटल में ठहरे हुए थे। रात का समय था, अगले दिन बहुत अहम सीन था और मैं स्क्रिप्ट लेकर घूम रही थी। मैं काफी टेंशन में थी और अपनी लाइन रिहर्सल कर रही थी। तभी मुझे एक साया नजर आया और उसके हाथ में भी स्क्रिप्ट थी। मैंने देखा, वो तो इरफान सर थे, जो अपनी लाइन रिहर्स कर रहे थे। उस वक्त मैं हैरान रह गई। वे निर्देशक से इस बात की चर्चा कर रहे थे कि कल कितना महत्वपूर्ण सीन है। मुझे लगा इन्हें क्या जरूरत है, प्रैक्टिस की। आखिरी फिल्म तक भी उन्होंने एक स्टूडेंट होने का रवैया नहीं छोड़ा। उस वक्त मैंने जाना कि कभी सीखना नहीं छोड़ना चाहिए।
आपकी पिछली फिल्म शिद्दत में शिद्दत वाला प्यार दर्शाया गया था,मगर इस फिल्म को आशातीत सफलता नहीं मिली?
– मुझे तो लगता है कि इस फिल्म को काफी पसंद किया गया। हॉटस्टार में ये फिल्म सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्म है। इस फिल्म के लिए मुझे तो अनगिनत मेसेजेस आए हैं। कई रोने-धोने वाले वॉइस नोट आए हैं। आईएमडीबी की उसकी रेटिंग 8.1 है। उस वक्त तो फिल्म को रोमांटिक सागा ऑफ द ईयर कहा गया। फिल्म के गाने खूब चले और रील्स पर भी फिल्म के दृश्यों का खूब इस्तेमाल हुआ। हां, कुछ लोगों को फिल्म बहुत पसंद आई, कुछ लोगों को नहीं, मगर फिल्म ने मुझे बहुत कुछ दिया।
ये नया साल आपके करियर के लिए काफी शानदार साबित होने वाला है। आप कई फिल्मों में अलग-अलग रोल में दिखेंगी?
-मैं खुद को काफी खुशकिस्मत मानती हूं कि मेरे पास इतनी कमाल की फिल्में हैं। देखिए, मैं एक्टर इसलिए बनी कि मैं कई जिंदगियों को जीना चाहती थी। मुझे पटाखा के बाद गांव वाले रोल ऑफर होने लगे, तो अंग्रेजी मीडियम के बाद बच्चों वाले, मगर मैंने उस तरह के रोल को रिफ्यूज करने का रिस्क भी उठाया, क्योंकि मैं किसी इमेज में नहीं बंधना चाहती थी। यही वजह है कि मैंने एक ही तरह के किरदारों के लिए मना किया। कुत्ते के बाद मैं अक्षय कुमार के साथ टीबीसी, कच्चे लिंबू, सना जैसी फिल्मों में नजर आऊंगी। टीबीसी में अक्षय सर के साथ काम करके काफी मजा आया। सना मेरे लिए बहुत मुश्किल रोल रहा, यह किरदार अपने से ही लड़ाई लड़ रहा होता है। इससे निकलने में मुझे समय लगा। कच्चे लिंबू में मैं क्रिकेट प्लेयर बनी हूं। मेरी एक और फिल्म है, हैप्पी टीचर्स डे। मैं दर्शकों को चौंकाना चाहती हूं कि ओह, ये ऐसा रोल भी कर सकती है। मेरा हर रोल डिफरेंट है और अलग-अलग एज ब्रेकेट से है और जॉनर भी अलग है।