युवा पीढ़ी भारतीय परम्पराओं, संस्कृति और संस्कार से जुड़ी रहे, इसके लिए इस्कॉन द्वारा शहर के विभिन्न स्कूलों में गीता सार पढ़ा कर नैतिक, सामाजिक व पारीवारिक शिक्षा दी जा रही है। अब तक लगभग 100 से अधिक स्कूलों के 50 हजार विद्यार्थियों को गीता सार पढ़ाया जा चुका है, लक्ष्य एक लाख बच्चों को शिक्षित करने का है। सभी विजेता प्रतिभागियों को आकर्षक उपहार प्रदान किए जाएंगे। दिसम्बर माह में सूरसदन में इंटरनेशनल गीता ओलम्पियाड का पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया जाएगा।
श्रीजगन्नाथ मंदिर (इस्कॉन) के अध्यक्ष अरविन्द स्वरूप प्रभु ने आज मंदिर परिसर में इंटरनेशनल गीता ओलम्पियाड के आमंत्रण पत्र विमोचन कार्यक्रम में जानकारी देते हुए बताया कि अपनी संस्कृति और संस्कारों से दूर होते बच्चों को हमने अभी नहीं सम्भाला तो आगे बहुत विषम परिस्थियां पैदा हो जाएंगी। गीता ओलम्पियाड भविष्य की पीढ़ी को जागरूक करने के लिए छोटा सा प्रयास है। जिससे टूटते परिवार, घर-घर कलह, तलाक, अकेले या वृद्धाश्रम में गुजर कर रहे वृद्ध, जैसी सामाजिक समस्याओं को नियंत्रित किया जा सके। इस अवसर पर मुख्य रूप से मनोज अग्रवाल, प्रभा गर्ग, शाश्वत नंदलाल, राजेश उपाध्याय, ओमप्रकाश ग्रवाल, काजल, हिमांशु, संजय कुकरैजा, गजेन्द्र, प्रभा गर्ग आदि उपस्थित थीं।
अब तक 100 स्कूलों के 50 हजार बच्चों को पढ़ाया गीता सार
इस्कॉन की अदिति गौरांगी ने बताया कि शहर के सभी छोटे बढ़े लगभग 100 स्कूलों में (मिशनरी स्कूलों को छोड़कर) कक्षा 6-12 तक के विद्यार्थियों के लिए गीता सार की क्लाससेज ली जा चुकी हैं। क्लास के एक हफ्ते बाद 50 नम्बर की परीक्षा होती है। इसके उपरान्त प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। रविन्द स्वरूप प्रभु ने कहा कि मिशनरी स्कूलों में धर्मनिर्पेक्ष शिक्षा की बात कर वहां अनुमति मिलने में दिक्कत आती है। फिर भी जो बच्चे या अभिभावक गीता की शिक्षा अपने बच्चों को देना चाहते हैं, उनके लिए ऑनलाइन क्लासेस भी ली जाती हैं। बच्चे मात्र 40 रुपए में बार कोड या 9927091147 नम्बर पर सम्पर्क कर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।