धमतरी। धान कटाई और त्योहारी सीजन में चुनाव प्रचार प्रत्याशियों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। गांवों में मतदाता मिल ही नहीं रहे हैं। प्रत्याशी व उनके समर्थकों को खेतों तक सफर करना पड़ रहा है और इस सीजन का फायदा उठाने में कोई नहीं चूक रहे हैं। कोई प्रत्याशी हंसिया लेकर धान काटने का उपक्रम करते हैं तो कोई बीड़ा उठाने का। कोई मजदूर से चर्चा कर स्वयं को किसान व उनके संतान बता रहे हैं, ताकि मतदाता उनसे प्रभावित हो सके। मतदान के लिए हफ्तेभर शेष विधानसभा चुनाव में दिलचस्प परिस्थिति बन रही है।
मतदाताओं के दर्शन दुर्लभ
दीवाली के हफ्तेभर बाद होने वाले इस चुनाव के लिए भाजपा-कांग्रेस के राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी भी एड़ी चोंटी एक कर रहे हैं। सर्वाधिक मतदाता गांवों में निवास करते हैं इसलिए सुबह से ही वाहनों का रेला गांवों की ओर निकलता है। यह धान कटाई का सीजन है, ऐसे में 80 प्रतिशत मतदाता किसान, मजदूर अलसुबह से ही खेत में निकल जाते हैं और उन तक पहुंचना प्रत्याशियों के लिए दिक्कत बनने लगा है।
प्रत्याशी खेतों में चला रहे हंसिया
वे कुछ किसानों से मिलने खेतों तक पहुंचते हैं और हंसिया लेकर धान काटते हुए नजर आते हैं। कहीं-कहीं और अलग-अलग स्थिति बनती है। ऐसे प्रचार में सारे मतदाताओं से सीधे संपर्क नहीं हो पा रहा है, यही प्रत्याशियों की अपनी समस्या है। ऐसे में वे ग्रामीण कार्यकर्ताओं के सहारे अपने प्रचार अभियान को गति देने में लगे हुए है। खेती कार्य का सीजन होने के कारण गांव व गली सुबह से ही सूने हो जा रहे हैं।
समर्थक इस बार संतुष्ट नहीं
इस बीच प्रत्याशियों के वाहनों में चलने वाले लुभावने गीत सुनने वाले ही नहीं है। जिस गांव में भी वे पहुंचते हैं, मतदाताओं के दर्शन दुर्लभ हो गए है। चंद दिन बचे चुनाव में इस स्थिति के कारण प्रत्याशी और उनके समर्थक इस बार संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं। उन्हें अब दीवाली त्योहार का इंतजार है और त्योहार के दिन ही ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं से सीधे संपर्क करने की प्लानिंग हो रही है। इस त्योहार में गांव में चुनावी बहार रहेगी।
भाड़े के मजदूरों के भरोसे प्रचार
चुनावी जनसंपर्क के दौरान पिछले चुनावों में समर्थकों की हुजूम उमड़ती थी। इस बार त्योहारी और फसल कटाई का सीजन है। सब खेत में व्यस्त है। इसी वजह से प्रचार के दौरान कार्यकर्ता ही नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि अधिकांश कार्यकर्ता किसान है। यहां तक की रोड शो में भी सिर्फ भाड़े के ही मजदूर नजर आ रहे हैं। स्थिति देख अधिकांश क्षेत्रों में चुनावी जनसभा ही नहीं हो रही है।