मधुबनी। सरकार हिंदू मठ, मंदिरों व धार्मिक संस्थानों से प्राप्त होने वाली राशि कब्रिस्तान की घेराबंदी, मदरसा संचालन व अन्य धर्मों पर खर्च करती है। जबकि हिंदू साधु-संत मारे मारे फिरते हैं। यह कहना है श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल का।
उन्होंने कहा कि मठ-मंदिरों से सरकार का नियंत्रण समाप्त होना चाहिए। सरकार को देशभर के मठ-मंदिरों की आमदनी से चार प्रतिशत राशि सालाना करीब एक लाख करोड़ से अधिक की प्राप्ति होती है। इसके बावजूद हिंदू धार्मिक संस्थानों के साथ भेदभाव किया जाता है। वह बिहार के मधुबनी में रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में श्रीभगवती सीता मंदिर निर्माण जगजागरण अभियान समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
रामायण रिसर्च काउंसिल के अध्यक्ष कामेश्वर चौपाल ने कहा कि मठ-मंदिरों में होने वाले आयोजनों के लिए धार्मिक न्यास बोर्ड से अनुमति जरूरी होती है। मठ-मंदिरों की जमीन को बांट दिया जाता है। धार्मिक न्यास बोर्ड परंपरा के अनुरूप चुने महंत को भी बदल देता है।
धार्मिक न्यास बिहार के कार्यालय में संत-महात्माओं को बैठने की व्यवस्था नहीं है। जबकि अन्य धर्मों के संस्थानों पर आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के जन्म स्थान पर बन रहे भव्य मंदिर की तरह सीतामढ़ी में माता सीता की 251 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित होनी है।