कानपुर ब्रेकिंग मानकों को दर किनार कर संचालित हो रहे स्कूलो पर क्यूँ मेहरबान जिले के जिम्मेदार
हमारे समाज में जहाँ विद्यालय को शिक्षा का मंदिर और शिक्षकों को भगवान से भी ऊंचे माना जाता है वही कई स्कूल प्रबंधन ने वसूली का जरिया बना लिया है जहां आप जब तक समय से फीस भरे तो आप के बच्चों की इज़्ज़त अगर आप के हालात बिगड़े तो आप के साथ बच्चों को मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता ऐसा ही ताजा मामला सामने आया तो पड़ताल में तमाम चौकाने वाले तथ्य सामने आए!
कानपुर के BSS एजुकेशन सेंटर-टिकरा नन्हें मुन्ने नौनिहालों छात्र छात्राओं के जीवन से कर रहा खिलवाड़ मानकों को दर किनार कर संचालक धड़ल्ले से संचालित कर रहा विद्यालय,और तो और नन्हें मुन्ने बच्चों को विद्यालय लाने लेजाने के लिए जो वैनो का इस्तेमाल हो रहा ना उनमे ना फायर सेफ्टी एक्यूमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा एवं कॉमर्शियल पीली नंबर प्लेट की वैनो की जगह व्हाईट नंबर प्लेट की वैनो का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा!
जो बिल्डिंग का निर्माण किया गया है उसमे भी सुरक्षा के इंतजाम ना के बराबर है फायर सुरक्षा का भी समुचित इंतजाम किए गए हैं जब आय दिन शहर में अग्निकांड सामने आते रहते हैं ऐसे में अगर कभी ऐसी कोई घटना हुई तो नौनिहालों के जान खतरे में पड सकती है !
बीते सप्ताह एक और मामला सामने आया अगर आप के बच्चे की थोड़ी भी फीस बकाया है तो आप को हाथ पैर जोड़ कर भी कम नहीं चलेगा सीधे बच्चे को एग्जाम में ही बैठने से प्रबंधन मना कर देगा सूत्रों की माने तो लगभग एक सैकड़ा बच्चों को काकादेव ब्रांच में प्रताड़ना से गुजरना पडा और पूरे दिन खडा रखा गया और आप स्कूल प्रबंधन के हाथ पैर ही जोड़ते रहेंगे और जब नन्हें मुन्ने बच्चों को ऐसे हालातों से गुजरना पड़ता है तो उन्हें किन किन मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता होगा उसकी कल्पना मात्र से ही ह्रदय विचलित हो जाता है,और तो और काकादेव ब्रांच की मान्यता इलाहाबाद बोर्ड से है पर कक्षाएं सीबीएससी बोर्ड की संचालित हो रही है जिला प्रशासन को इन जैसे तमाम विद्यालयों पर लगाम कसनी चाहिए जो शिक्षा के मंदिरों को व्यापार की दुकान बना बैठे है
काकादेव वाले ब्रांच में बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है अधिकांश कमरों का प्लास्टर तक झर रहा ये मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं तो क्या?
सबसे बड़ा सवाल अखिर जिला प्रशासन एवं सम्बंधित विभागों की इस ओर ध्यान और नज़र क्यों नहीं जाती है जब की कई बार मीडिया मे ख़बरें भी प्रकाशित हुई पर कैसे शिक्षा को व्यापार बनाने वालों को विद्यालय संचालित करने की मान्यता मिल जाती है और सम्बन्धित विभाग क्यूँ महरवान है क्यूँ नहीं होती कार्यवाही?