नई दिल्ली: क्या वाकई केएल राहुल की टीम इंडिया में जगह बनती है? पिछले 10 टेस्ट मैच में राहुल ने 32.52 के औसत से 618 रन बनाए हैं। साल 2021 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में आखिरी बार शतक बनाने वाले राहुल का पिछली आठ पारियों में बेस्ट स्कोर 23 रन का रहा है। नागपुर में खेले गए पहले टेस्ट में कप्तान रोहित शर्मा ने सेंचुरी ठोकी, लेकिन उनके ओपनिंग जोड़ीदार राहुल की नाकामी का सिलसिला जारी रहा। इन सब आंकड़ों के बाद आप भी सोच रहे होंगे कि किस बुनियाद पर इन फॉर्म शुभमन गिल की जगह राहुल को अभी और मौके मिलने चाहिए, चलिए समझते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के किसी भी सलामी बल्लेबाज ने दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में शतक नहीं बनाया है। हर कोई जानता है कि ड्यूक्स और कूकाबुरा की गेंदें किस तरह स्विंग और सीम करती है। बादलों भरे आसमां के नीचे चमकदार ग्रासी विकेट में कोई कलाकार ही शतक लगा सकता है। यही कारण है कि बल्लेबाज विदेशों में अपने शतकों को महत्व देते हैं। सचिन तेंदुलकर अभी भी पर्थ में अपने 116 रन को अपना सर्वश्रेष्ठ मानते हैं क्योंकि यह तेज गेंदबाजी फौज के लिए परफेक्ट पिच पर आया शतक था। ग्राहम गूच ने भारत के खिलाफ अपने तिहरे शतक की तुलना में वेस्टइंडीज पेसर्स के खिलाफ अपने शतकों को अधिक रेट किया।
राहुल की हालत देखकर हाल ही में संन्साय लेने वाले मुरली विजय की भी याद आती है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में जैसी मुश्किल पिच पर बढ़िया ओपनिंग कर लगातार रन बनाने वाले मुरली सिर्फ आठ खराब पारियों के बाद घर बिठा दिए गए। उनका करियर खत्म हो गया। राहुल को चोटों की भी रियायत दी जानी चाहिए। अपने छोटे से करियर में वह कई बार इंजर्ड हुए। आईपीएल के दौरान चोटिल हुए। न्यूजीलैंड श्रृंखला से पहले बाईं जांघ में खिंचाव। ऊपरी बाएं हैमस्ट्रिंग में खिंचाव, जिसने उन्हें श्रीलंका के खिलाफ श्रृंखला से बाहर रखा, और उनकी बांह पर लगे एक झटके ने उन्हें दक्षिण के खिलाफ टी-20 अंतरराष्ट्रीय से बाहर कर दिया।इससे पहले उन्होंने बुखार और फ्लू के अलावा अपने कंधे का ऑपरेशन भी करवाया था।
केएल राहुल पर फैंस को यूं बेरहम हो जाना भी नहीं पचता। एक या दो खराब प्रदर्शन के बाद वही चाहने वाले आपके दुश्मन हो जाते हैं, जो पिछले शतक पर तालियां बजाते नहीं थकते। चोट से उबरने के बाद राहुल ने सिर्फ पांच बार बल्लेबाजी की है। यह किसी ऐसे खिलाड़ी को टीम से बाहर करने के लिए बेहद छोटी अवधि है, जिसमें आपने समय निवेश किया है। वापसी के बाद वह किसी पारी में परेशान भी नहीं दिखे। औसतन 59 गेंदों का सामना किया। नागपुर में भी बढ़िया बल्लेबाजी ही कर रहे थे। मुश्किल गेंदों को बढ़िया लीव कर रहे थे। अपनी बल्लेबाजी का लुत्फ उठा रहे थे। शायद, वह और सतर्क हो सकते थे।