नई दिल्ली: क्या आप भी पेटीएम, गूगल पे और भीम एप जैसे डिजिटल वालेट का इस्तेमाल करते हैं। अगर हां, तो यह खबर आपके लिए उपयोगी है। क्रेडिट, डेबिट कार्ड का नंबर/ सीवीवी/ ओटीपी पूछ कर ठगी करने वाले जालसाजों के निशाने पर रहते हैं डिजिटल वॉलेट। आपकी जरा सी चूक से कभी कैशबैक तो कभी केवाईसी के नाम पर आपके अकाउंट में सेंध लग सकती है। हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें लोगों के साथ ठगी की गई है।
इस तरह से हो रही ठगी
केस 1: शालीबार बाग निवासी महिला के मोबाइल पर बीते दिनों मेसेज आया कि आपने पेटीएम केवाईसी नहीं कराया है, आपका अकाउंट का पैसा सीज हो सकता है। अपने पेटीएम का केवाईसी कराने के लिए इस नंबर 7679128766 पर संपर्क करें। महिला ने उस नंबर पर कॉल किया। तब पिक नहीं हुआ। करीब पांच मिनट बाद उस नंबर से कॉल आया। सबसे पहले उसने प्ले स्टोर में जाकर Team Viewer quick सर्च एप डाउनलोड कराया। जीमेल में एक लिंक आया। जिसे क्लिक करने को बोला। दोबारा पेटीएम एप में जाकर एक क्यूआर कोड में 10 रुपये की पेमेंट करने के लिए कहा। महिला का कहना है कि कार्ड की डिटेल पहले से एप में थी। पेमेंट एड की। लेकिन पूरी डिटेल दोबारा उसने भरवाई। जिसमें डेबिट कार्ड की एक्सपायरी डेट, सीवीवी भरवाया। सेकंड के बाद बैंक से 44999 रुपये कटने का मेसेज आया।
इस तरह के आते हैं एसएमएस
ज्यादातर वॉलेट यूजर्स को एक ही तरह के मेसेज आते हैं, जिसमें कहा जाता है कि उनका डिजिटल वॉलेट KYC नहीं कराने की वजह से ब्लॉक कर दिया गया है। यहां हम आपको क्लियर कर दें कि, हर पेमेंट ऐप बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है। पेटीएम, ओला, ऐमजॉन जैसी कुछ कंपनियों के डिजिटल वॉलेट सीधे भी काम करते हैं। साथ ही, हर ऐप के लिए केवाईसी कराना जरूरी होता है। इसके बाद कोई भी पेमेंट ऐप यूजर लेन-देन कर सकता है। ऐसे में हो सकता है कि जालसाज आपके पेमेंट ऐप से एक दिन में ही 1 लाख रुपये उड़ा ले। ऐसे साइबर क्राइम एंड्रॉयड डिवाइस पर ज्यादा हो रहे हैं।
5 बातों का रखें ख्याल
1. डिजिटल वॉलेट का एग्जिक्यूटिव बनकर फोन करने वाले को अनसुना करें।
2. अगर यूजर को AnyDesk या TeamViewer ऐप डाउनलोड करने के लिए कहे तो न करें।
3. अगर ऐप डाउनलोड हो गया तो वह 9 अंकों का कोड मांगता है तो शेयर न करें।
4. कोड अगर हाथ लग गया तो यूजर के मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन को आसानी से देख और कंट्रोल कर सकेगा।
5. यूजर अपने बैंक अकाउंट का यूजरनेम और पासवर्ड डालेगा, उधर जालसाज क्लोन कर पैसा ट्रसंफर कर लेगा
7 वजहें, शातिर ठगों के न पकड़े जाने की
1. शातिर ठग फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए गांव देहातों में निजी या छोटे बैंकों में अकाउंट खुलवाते हैं
2. फर्जी डॉक्यूमेंट्स पर ही लोकल दुकानदार से सिम भी खरीद लेते हैं।
3. अपने मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से पेमेंट ऐप पर रजिस्टर करा लेते हैं
5. ठग लोगों की रकम अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करा लेते हैं।
6. रकम को या तो एटीएम कार्ड के जरिए निकाल लेते हैं या शॉपिंग करते हैं।
7. फर्जी डॉक्यूमेंट्स पर अकाउंट व सिम होने की वजह से पुलिस की पकड़ से बाहर होते हैं।
पेटीएम के संस्थापक को करना पड़ा ट्वीट
केवाईसी के नाम पर पेटीएम यूजर्स से साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़े तो कुछ समय पहले पेटीएम संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने ट्वीट के जरिए अपने ग्राहकों को फर्जी SMS से सावधान रहने को कहा। उन्होंने ग्राहकों को सचेत किया कि SMS और मेल भेजे जा रहे हैं, इन्हें देखकर लगता है कि यह पेटीएम की तरफ से भेजे गए हैं, लेकिन यह सच नहीं है। उन्होंने ट्वीट करके यूजर्स से कहा है कि ‘प्लीज, ऐसे किसी SMS पर भरोसा ना करें जिसमें आपका पेटीएम अकाउंट ब्लॉक करने का जिक्र हो और आपसे KYC करने को कहा जा रहा है। उन्होंने ऐसे फ्रॉड SMS की तस्वीर भी शेयर की।
एप डाउनलोड कराते हैं ठग
साइबर सेल पुलिस के मुताबिक, डिजिटल वॉलेट की अनेकों कंप्लेंट आती हैं। ये ठग पहले यूजर्स को उसके मोबाइल फोन पर एक एप डाउनलोड कराते हैं। इसके जरिए अकाउंट को लिंक कराने से लेकर स्टेप बाई स्टेप पेमेंट के प्रोसेस तक को भी पूरा कराते हैं। फिर चालाकी से अपनी यूपीआई आईडी को पैकेज का कूपन बताकर मोबाइल में सेव करा देते हैं, फिर पैसा ट्रांसफर।