भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं, युवतियों और बच्चियों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। उनकी इस छवि को बनाने के पीछे कोई एजेंसी नहीं है। इस ब्रांडिंग की वजह उनकी सहज-सरल आम आदमी की छवि और ‘मामा-भांजी और बहना’ के रिश्ते हैं। खासतौर से उनके द्वारा महिलाओं से भाई और उनके बच्चों के मामा का जो रिश्ता बनाया है, उसने शिवराज सिंह की ‘मामा’ के रूप में अमिट छवि बनाई है।
दरअसल, शिवराज सिंह की सारी राजनीति महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। जब वह सांसद थे तो स्वयं के खर्च पर अनाथ और बेसहारा बेटियों का विवाह करवाते थे। कन्यादान भी वह खुद ही करते थे। वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना बनाई और फिर नवजात बच्चियों के लिए लाडली लक्ष्मी योजना बनाई। यह देशभर में लोकप्रिय हुई। इसमें बच्चियों को छठवीं से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई के लिए डेढ़ लाख रुपये दिए जाते हैं।
जयललिता को मिली थी अम्मा की ख्याति
आठ महीने पहले जब शिवराज ने लाडली बहना योजना आरंभ की तो इसने राजनीतिक क्षेत्र में ऐसी प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी कि कांग्रेस को भी ऐसी ही योजना का वादा करने पर मजबूर होना पड़ा। एक दौर था, जब ब्रांडिंग की राजनीति में सिर्फ तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता माहिर थीं। फिल्म स्टार से राजनेता बनीं जयललिता को देशभर में ‘अम्मा’ नाम से ख्याति मिली थी।
इसी क्रम में मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह ने ऐसी छवि गढ़ी कि समकालीन और पूर्ववर्ती नेताओं को पीछे छोड़ दिया। दरअसल, शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री से अलग संवेदनशीलता दिखाते हुए आम लोगों के बीच अपनी छवि जनता के बीच का आदमी जैसी बनाई है। जनता भी उनमें मुख्यमंत्री जैसा चेहरा न देखकर ‘मामा’ या ‘भैया’ को देखती है। बुजुर्ग महिलाएं उन्हें अपने बेटे जैसा मानती हैं। जिन हजारों बुजुर्ग लोगों ने सपने में कभी तीर्थ-यात्रा करने का नहीं सोचा था, शिवराज सिंह की तीर्थदर्शन योजना का लाभ उठाकर वे उनमें श्रवण कुमार की छवि देखते हैं। जिन आठ लाख गरीब कन्याओं का विवाह शिवराज की योजना के कारण धूमधाम से हुआ, उन्होंने उनके साथ मामा का रिश्ता बनाया।
लाडली बहना की 1.31 करोड़ हितग्राही भी शिवराज में भाई की झलक देखती हैं। 18 से 19 वर्ष के युवा मतदाताओं की एक ऐसी पीढ़ी है, जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में ज्यादातर शिवराज सिंह को ही देखा है। वे भी उन्हें ‘मामा’ ही कहते हैं।
प्रतिदिन लगाते हैं एक पौधा
19 फरवरी, 2020 को शिवराज सिंह चौहान ने हर दिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाले इस संकल्प में शिवराज ¨सह ने नागरिकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की। हर दिन सुबह वह पौधा रोपते हैं।
CM शिवराज ने क्या कुछ कहा?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरे मन में बचपन से ही बहन-बेटियों के प्रति लगाव रहा है। उनके साथ हुए भेदभाव को मैंने देखा है और इसीलिए जब पहली बार मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने बेटियों का जीवन सुखद बनाने के लिए लाडली लक्ष्मी योजना शुरू की। आज गर्व होता है कि मध्य प्रदेश की धरती पर बेटा-बेटी के भेद को हमने समानता में बदला है। आज प्रदेश में प्रति हजार बेटों पर 956 बेटियां हैं। बहनों के लिए पंचायत और नगरीय निकाय में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। शिक्षक भर्ती में 50 और अन्य सरकारी भर्तियों में 35 प्रतिशत पद बहन-बेटियों के लिए आरक्षित किए।
उन्होंने कहा कि आज लाडली बहना योजना ने मध्य प्रदेश में महिला सशक्तीकरण का नया अध्याय लिखा है। 1.31 करोड़ बहनों को हर महीने 1250-1250 रुपये मिल रहे हैं। मुझे हर जगह बहनों का अथाह स्नेह मिल रहा है। मुझे सुकून मिलता है कि मैं बहन, बेटियों की जिंदगी में बदलाव लाने में सफल हो सका।