गोरखपुर। कुशीनगर के सम्पन्न परिवार की सुनीता पति के शराब पीने की लत और इस वजह से आए दिन होने वाले झगड़े से परेशान थीं। सहेली की सलाह पर उन्होंने पति के खाने में चुपके से ‘शराब छुड़ाने वाली दवा’ डाइसल्फिरैम की टैबलेट मिला दी।




शराब पीकर घर पहुंचे पति ने जैसे ही खाना खाया उनकी तबीयत बिगड़ गई। मिचली के साथ उल्टी और घबराहट से पति की हालत खराब हो गई। घबराई पत्नी ने पति को सच बताया तो घर में फिर कलह छिड़ गई। कुछ ऐसा ही प्रयोग गोरखपुर की सलोनी ने भी किया, जिसके चलते उनके पति को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। ये दोनों घटनाएं वास्तविक हैं, पहचान छिपाने के लिए नाम बदले हुए हैं।
पत्नियों की नासमझी भरे प्रयोग पतियों पर भारी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के ओपीडी में पहुंचने वाले ऐसे कई मामले बता रहे हैं कि पत्नियों के नासमझी भरे प्रयोग पतियों पर भारी पड़ रहे हैं।
डाक्टरों की सलाह के बिना इंटरनेट मीडिया से अधूरी जानकारी लेकर डाइसल्फिरैम की गोली खिला दे रही हैं। प्रतिबंधित श्रेणी में न होने से यह दवा मेडिकल स्टोर पर मिल जा रही है। एम्स के नशा मुक्ति केंद्र पर रोगियों के साथ पत्नी व स्वजन की भी काउंसिलिंग चल रही है कि किसी भी दवा का इस्तेमाल अपने मन से न करें।
नशा मुक्ति में होता है इस्तेमाल
एल्डिहाइड डिहाईड्रोजनेज (एएलडीएच) नाम का एंजाइम शराब को शरीर में मिलने (घुलने) में मदद करता है। डाइसल्फिरैम टैबलेट एल्डिहाइड डिहाईड्रोजनेज एंजाइम को अवरुद्ध कर देती है। इसके इस्तेमाल से कुछ रियेक्शन होते हैं, जिन लक्षणों की वजह से लोग शराब पीने से बचने लगते हैं। यदि किसी ने ज्यादा शराब पी है तो उसके लिए यह दवा जानलेवा भी बन सकती है।
एम्स के मनोरोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डा.ऋचा त्रिपाठी के अनुसार, डाइसल्फिरैम का अनियंत्रित इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है। ओपीडी में प्राय: ऐसे लोग आते हैं, जिनको बिना बताए दवा दी गई थी, जिसके चलते उनमें खतरनाक लक्षण भी सामने आए थे। महिलाएं खासतौर से दूसरों के बताने पर दवाएं दे देती हैं। ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।
एम्स के कार्यकारी निदेशक प्रो.सुरेखा किशोर ने बताया कि एम्स में पूर्वांचल के साथ बिहार और नेपाल से रोगी आ रहे हैं। नशा मुक्ति केंद्र में नशे का सेवन करने वालों का उपचार चल रहा है। डाक्टरों के साथ काउंसलर की टीम नशे की प्रवृत्ति छुड़ाने पर काम कर रही है।
