नई दिल्ली। तेज गति से दौड़ते वाहनों पर लगाम नहीं लग पा रही है। इससे तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क सुरक्षा फाइलों में ही दम तोड़ रही है। राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर सबसे ज्यादा व्यावसायिक वाहन गति सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं। इस मामले में बस और आटो शीर्ष पर हैं।
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के अध्ययन में यह बात सामने आई है। सीआरआरआइ ने इस साल मई में दिल्ली के 15 प्रमुख स्थानों पर करीब तीन लाख वाहनों पर इसका चार चरणों में अध्ययन पूरा किया। इस दौरान 46 प्रतिशत बसों की गति औसतन 47 किमी प्रति घंटा आंकी गई। दिल्ली में इनकी गति सीमा 40 किमी प्रति घंटा तय है। वहीं, तिपहिया वाहनों में 37 प्रतिशत आटो निर्धारित गति से अधिक में चलते पाए गए। गति सीमा का उल्लंघन करने के मामले में ट्रक, मिनीवैन भी शामिल हैं।
64 प्रतिशत बसें अपनी लेन में नहीं चल पातीं अतिक्रमण होने के कारण
दिल्ली में मोटरसाइकिल और कारों की गति सीमा ज्यादा है, इसलिए व्यावसायिक वाहनों के मुकाबले इनकी गति काफी कम यानी औसत गति 49 किमी प्रति घंटा दर्ज की गई है। इस अध्ययन में अकेले बसों की गति मापने और वाहनों के लेन में चलने को लेकर 3,917 नमूने लिए गए। इसमें करीब 15 प्रतिशत वाहन बस लेन का पालन करते दिखे, 20 प्रतिशत ने इसका आंशिक रूप से पालन किया।
करीब 64 प्रतिशत बस लेन पर अन्य वाहन के आने या अतिक्रमण के कारण बसें अपनी लेन में नहीं चल पा रहीं हैं। इससे कुशल सार्वजनिक परिवहन में बाधाएं आ रही हैं। नवंबर 2021 से मई 2023 तक के अध्ययन के मुताबिक, राजधानी में वाहनों के गति सीमा उल्लंघन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पहले चरण में 21, दूसरे में 25, तीसरे में 31 और चौथे में 33 प्रतिशत मामले सामने आए
दीर्घकालिक उपायों भी सुझाए
इस अध्ययन के प्रमुख सीआरआरआइ में ट्रैफिक इंजीनियरिंग व सुरक्षा डिवीजन के मुख्य विज्ञानी और विभागाध्यक्ष डॅा. एस वेल्मुरुगन ने कहा कि राजधानी में परिवहन के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार, मजबूत प्रवर्तन, कैमरे और स्वचालित प्रणालियों जैसी आधुनिक तकनीकों को शामिल करने की जरूरत है। इससे लेन और गति सीमा उल्लंघन को रोकने में मदद मिलेगी। साथ में स्पष्ट लेन मार्किंग करनी होगी। अध्ययन में शामिल विज्ञानी कनिष्क सिंह ने गति सीमा उल्लंघन को रोकने के लिए ब्लैक व ग्रे स्पाट खत्म करने, सुरक्षित गति संकेतक लगाने और रंबल स्ट्रिप्स की व्यवस्था को अहम बताया है।