नई दिल्ली: भारतीय रेलवे (Indian Railways) लगातार विस्तार कर रहा है। एक के बाद एक वंदे भारत ट्रेनों (Vande Bharat Express) की शुरुआत हो रही है। अब तक देश को 14 वंदे भारत ट्रेनों का तोहफा मिल चुका है । इस लिस्ट में कई और वंदे भारत ट्रेनों का नाम जुड़ने वाला है। एक तरफ ऱेलवे विस्तार कर रहा है तो दूसरी ओर एक अलग तस्वीर सामने आ रही है। रेल यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। रेलवे में यात्रियों की संख्या अब तक प्री कोविड स्तर पर नहीं पहुंच सकी हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में रेल यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक 11 महीनों में ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में आई गिरावट हैरान करने वाली है। वित्त वर्ष 2019-20 के मुताबिक इस वित्त वर्ष में रेल यात्रियों की संख्या में 1815 करोड़ की कमी आई है।
क्यों घट रहे हैं रेल यात्री
रेल यात्रियों की संख्या में आ रही इस गिरावट के पीछे कई कारक है। रेल किराए में लंबे वक्त से कोई कटौती नहीं की गई है। कोराना के समय वरिष्ठ नागिरकों को किराए में मिलने वाली छूट भी खत्म कर दी गई। रेल किराए पर लगने वाले डायनामिक फेयर के कारण लोगों को रेल टिकटों पर ऊंची कीमत चुकानी पड़ती है। कई बार को रेल किराया फ्लाइट टिकट के बराबर हो जाती है। ऐसे स्थिति में लोग रेल के मुकाबले फ्लाइट टिकट का चुनाव करना बेहतर समझते है। खासकर प्रीमियम ट्रेनों का किराए को देखते हुए लोग समय को बचाने के लिए फ्लाइट से सफर करना बेहतर मानते हैं। इतना ही नहीं जिस तरह से पिछले दो-तीन सालों से देश में एक्सप्रेसवे और हाईवे का जाल बिछ रहा है, लोग रेल के मुकाबले सड़क यात्रा करने को बेहतर मान रहे है। उदाहरण के तौर पर दी देखें तो रेल से दिल्ली से जयपुर जाने में जहां चार लोगों का टिकट दितने का होगा, उतने में पूरा परिवार लगभग उतने ही समय में अपनी कार से दिल्ली से जयपुर पहुंच जाता है। अपनी गाड़ी से जाने पर ट्रेन के साथ की टाइमिंग की कोई बाध्यता नहीं होती है।