’मोदी सरनेम’ पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर दोषी ठहराए जाने और 2 साल की सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई है। उन्होंने इसे देश की आवाज को चुप कराने की कोशिश करार दिया है। संसद सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी शनिवार को पहली बार मीडिया के सामने आए और कहा कि पीएम मोदी संसद में अडानी पर होने वाली उनकी अगली स्पीच से डरे हुए हैं।
न झुके हैं, न झुकेंगे…सांसदी जाने के बाद राहुल गांधी की हुंकार
दोपहर का वक्त और देश की राजधानी दिल्ली। राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही है। मंच पर उनके एक तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं तो दूसरी तरफ केसी वेणुगोपाल राव। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिंघवी भी राहुल के साथ बैठे हुए हैं। मोदी सरनेम टिप्पणी को लेकर मानहानि मामले में 2 साल की सजा और उसके बाद सदस्यता गंवाने के बाद राहुल गांधी बेहद आक्रामक तेवर में हैं।
प्रियंका गांधी वाड्रा के चेहरे पर झलक रहा गुस्सा
मंच से थोड़ा हटकर कांग्रेस के तमाम नेता भी मौजूद हैं…एकदम शांत, धीर-गंभीर और चिंतित मुद्रा में। प्रियंका गांधी वाड्रा भी बैठी हुई हैं। उनके चेहरे पर गंभीरता के भाव हैं। चेहरा तमतमाया हुआ है। आंखों से गुस्सा साफ झांक रहा है। प्रियंका की इस तस्वीर को गौर से देखेंगे तो साफ समझ आएगा कि गांधी परिवार कितने गुस्से में है।
आक्रामक तेवर
सूरत कोर्ट से राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने और सजा के ऐलान के अगले दिन ही शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने वायनाड संसदीय सीट से उनकी सदस्यता को खत्म करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, अगर किसी सांसद या विधायक को किसी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म मानी जाएगी। लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन के तुरंत बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। कहा कि उनके परिवार के रगों में बलिदानियों का खून बहता है जो न कभी किसी कायर, सत्तालोभी तानाशाह के सामने कभी झुका है और न कभी झुकेगा।
भाजपा लोकतंत्र खत्म करना चाहती है: प्रियंका
प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार शाम को ट्वीट कर बीजेपी पर फिर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा इस देश से विपक्ष और लोकतंत्र खत्म करना चाहती है। इसलिए लगातार विपक्ष के लोगों की आवाज पर हमला कर रही है।
न झुकेंगे, न पीछे हटेंगे…राहुल की हुंकार
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह न झुकेंगे, पीछे हटेंगे, उसूलों पर डटे रहेंगे। जनता की आवाज उठाते रहेंगे। सच की राह पर देश के लिए वह हर कीमत चुकाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वह सावरकर नहीं हैं, गांधी कभी कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री की आंखों में डर देखा है। वो डरते हैं अडानी पर संसद में मेरे भाषण से। राहुल गांधी ने कहा कि ये सारा नाटक इसी सवाल से ध्यान भटकाने के लिए है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी के चेहर पर भी गुस्से के भाव साफ पढ़े जा सकते थे। जब एक पत्रकार ने उनसे ये पूछा कि बीजेपी आरोप लगा रही है कि आपने पिछड़ी जातियों का अपमान किया है तो उनका पारा चढ़ गया और पत्रकार को नसीहत देने लगे।
क्या गांधी परिवार का गुस्सा करा पाएगा 1980 वाला इंदिरा का करिश्मा?
दादी इंदिरा के बाद गांधी परिवार से राहुल गांधी ऐसे दूसरे शख्स हैं जिनकी लोकसभा सदस्यता छिनी है। वैसे तो सोनिया गांधी को भी एक बार इस्तीफा देना पड़ा था। 2006 में सोनिया रायबरेली सीट से सांसद होने के साथ-साथ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष भी थीं। तब ‘लाभ के पद’ का विवाद उठा जिसके बाद उन्होंने नैतिकता के आधार पर संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद रायबरेली में उपचुनाव हुआ जिसमें सोनिया एक बार फिर जीतकर संसद पहुंचीं। खैर, बात इंदिरा की सांसदी छिनने की। इंदिरा गांधी की तो एक नहीं, दो बार संसद सदस्यता छिनी थी। पहली बार 1971 के चुनाव में धांधली के आरोप में। तब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट का ये फैसला जून 1975 में आया जिसके बाद उन्होंने इमर्जेंसी का ऐलान कर दिया था। इसी तरह, 1978 में हुआ। कर्नाटक की चिकमंगलूर संसदीय सीट पर उपचुनाव हुआ और इंदिरा गांधी वहां से जीत गईं। लेकिन एक महीने के भीतर ही उनकी सदस्यता चली गई। तब केंद्र में उनके प्रतिद्वंद्वी मोरार जी देसाई की अगुआई में सरकार थी। देसाई ने उनके खिलाफ संसद के भीतर चक्रव्यूह रचा। इंदिरा पर आरोप लगा कि प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्होंने सरकारी अफसरों का अपमान किया। उनपर संसद की अवमानना का भी आरोप लगा और जांच विशेषाधिकार समिति को सौंप दी गई। विशेषाधिकार समिति ने उन्हें विशेषाधिकार हनन और संसद की अवमानना का दोषी पाया। सजा क्या हो इसका फैसला संसद की सामूहिक चेतना पर छोड़ दिया गया। मोरारजी देसाई ने इंदिरा गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने और उस वक्त चल रहे संसद सत्र की पूरी अविधि के दौरान उन्हें जेल में डालने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव पास हो गया। पक्ष में 279 तो विपक्ष में 138 वोट मिले। 37 सांसद वोटिंग के समय गैरहाजिर रहे। इस तरह दूसरी बार इंदिरा गांधी को संसद सदस्यता गंवानी पड़ी। तब भी कांग्रेस ने काफी आक्रामक तेवर अपनाए थे और 1980 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी की अगुआई में पार्टी ने जबरदस्त वापसी की थी। अब देखना ये है कि राहुल गांधी की सदस्यता छिनने के बाद गुस्से से लाल गांधी परिवार 2024 में इंदिरा का 1980 वाला करिश्मा दोहरा पाता है या नहीं।