बीजेपी के खिलाफ अभियान जारी
ममता को अपने नये राज्यपाल से इसलिए चिढ़ हो गई है कि उन्होंने विश्वविद्यालयों के वीसी की मीटिंग लेनी शुरू कर दी है। विश्वविद्यालयों में खुद जा रहे। एक विश्वविद्यालय में तो उन्होंने वीसी भी नियुक्त कर दिया है। यह सब औमतौर पर राज्यपाल ही करते हैं, लेकिन ममता बनर्जी ने पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ से खुन्नस के बाद चांसलर का अधिकार अपने पास रखने के लिए विधानसभा से विधेयक तक पारित करा लिया था। ममता बनर्जी ने राज्यपालों की मनमर्जी के खिलाफ गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अब गोलबंद करना शुरू किया है। इस क्रम में सबसे पहले उन्होंने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन से फोन पर बात की। स्टालिन भी अपने राज्यपाल से पीड़ित हैं। ममता के फोन के बारे में स्टालिन ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी है।
CBI-RD को लेकर भी ममता ने ऐसी ही कोशिश की थी
ममता बनर्जी ने राज्यों में सीबीआई-ईडी की सीधी कार्रवाई रोकने के लिए भी गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था। दरअसल ईडी के पास सर्वाधिक मामले पश्चिम बंगाल से ही दर्ज हैं। शिक्षक नियुक्ति घोटाले में तो शिक्षा मंत्री से लेकर ममता की पार्टी टीएमसी के कई विधायकों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। रोज नई-नई परतें खुल रही हैं। जिस तरह टीएमसी के विधायक जांच के दायरे में आ रहे हैं, अगर रफ्तार यही रही तो ममता के विधायकों की संख्या ही घट जाएगी। बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी ने तो दावा तक कर दिया है कि ममता के कम से कम 100 विधायक घपले-घोटालों के आरोप में जेल जाने वाले हैं।
चुनाव बाद से ही ममता को लगातार लग रहे हैं झटके
बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से ममता बनर्जी को लगातार झटके लग रहे हैं। पशु तस्करी, कोयला तस्करी और शिक्षक नियुक्ति घोटाले में में उनके कई भरोसेमंद नेता जेल जा चुके हैं। जांच के घेरे में ममता के भतीजे और टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी, उनकी पत्नी और साली भी हैं। अभिषेक से सीबीआई पहले भी पूछताछ कर चुकी है। दोबारा पूछताछ के लिए हाल ही में उन्हें सीबीआई का नोटिस मिला था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने नोटिस वापस ले लिया है।
सीबीआई-ईडी को लेकर विपक्षी नेताओं के साथ ममता
सेंट्रल जांच एजेंसियों की कार्रवाई रोकने के लिए विपक्षी दलों के जिन 14 नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, उनमें ममता बनर्जी भी शामिल थीं। उन्हें इस बात से जोरदार झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों की कार्रवाई रोकने से इनकार कर दिया। अब जांच झेलने के सिवा ममता बनर्जी के नेताओं के पास कोई चारा नहीं बचा है। ममता की चिंता यह है कि जब वे अपने नेताओं को प्रोटेक्ट नहीं कर पाएंगी तो उनके प्रति लोगों का भरोसा ही आहिस्ता-आहिस्ता खत्म हो जाएगा। ममता इसी बात से परेशान हैं।
मुकुल राय ने तो ममता की साख पर बट्टा लगा दिया है
कभी ममता बनर्जी के काफी करीब रहे राज्यसभा सदस्य मुकुल राय ने विधानसभा चुनाव के दौरान टीएमसी छोड़ दी। वे बीजेपी में शामिल हो गए थे। बीजेपी ने उन्हें विधानसभा का टिकट दिया। वे जीते भी, लेकिन बाद में ममता के साथ हो गए। अब वे फिर बीजेपी में जाने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। उनका कहना है कि बेटे से झगड़ कर वे दिल्ली गए हैं। वे पहले भी बीजेपी में थे और अब भी उसी के साथ हैं। टीएमसी में दोबारा जाने के सवाल पर उनकी सफाई है कि मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। दरअसल मुकुल राय के बेटे की नजदीकी ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी से है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जब कामयाबी नहीं मिली तो टीएमसी ने अपने उन नेताओं को वापस लेना शुरू किया, जिन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। राजीव बनर्जी और मुकुल राय उन्हीं लोगों में शामिल थे।