नई दिल्ली: आम को फलों का राजा कहा जाता है। लेकिन पिछले कुछ साल से आम महंगाई (Mango price) का भी राजा बना हुआ है। साल 2015 से आम की कीमत में सालाना औसतन 10.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस बार भी समय से पहले गर्मी, बेमौसम बरसात और आंधी तूफान के कारण आम की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसलिए इस बार आम की कीमत में भारी तेजी आने की आशंका है। दिलचस्प बात है कि आम उन 299 आइटम्स की लिस्ट शामिल है जिनसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का निर्धारण होता है। गर्मियों के मौसम में खाए जाने वाले इस फल की सीपीआई में काफी अहमियत है। मिंट के एक एनालिसिस के मुताबिक 2015 से आम की सालाना एवरेज कीमत में अप्रैल-जून के दौरान 10.4 फीसदी तेजी आई है।
इसी तरह खरबूज, दूध, दही और कोल्ड बेवरेजेज की औसत महंगाई चार फीसदी से अधिक रही है। गर्मियों की छुट्टियों में इस्तेमाल होने वाले आइटम्स की कीमत में भी इस दौरान तेजी देखने को मिली है। इसमें स्टीमर और बोट का किराया, पोर्टर चार्जेज, रिक्रिएशन और एम्यूजमेंट तथा छाते की कीमत शामिल है। इस एनालिसिस में 2020 और 2021 को शामिल नहीं किया गया है। इसकी वजह यह है कि कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से इन वर्षों का जून तिमाही का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। गर्मियों में इस्तेमाल होने वाले रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, एयर कूलर और इलेक्ट्रिक फैन कीमत में ज्यादा तेजी नहीं आई है। हालांकि हाल के वर्षों में इनकी कीमत बढ़ी है।
विमान किराए की कीमत
पिछले तीन साल में एयर कंडीशनर्स और एयर कूलर्स की कीमत में औसतन 4.5 फीसदी की तेजी आई है जबकि उससे पहले लगातार तीन साल इनकी कीमत में औसतन 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। इसी तरह पिछले तीन साल के दौरान इलेक्ट्रिक फैन की कीमत 3.6 फीसदी बढ़ी जबकि उससे पहले तीन साल इसकी कीमत में सालाना औसतन 1.9 फीसदी की तेजी आई थी। जहां तक रेफ्रिजरेटर की बात है तो पिछले तीन साल इसमें सालाना औसतन 3.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि उससे पहले तीन साल इसकी कीमत सालाना 3.1 फीसदी बढ़ी थी।
दूसरी ओर आम और खरबूज को छोड़कर बाकी फूड आइटम्स की कीमत में हाल के वर्षों में कम तेजी आई है। आम की महंगाई 3.6 फीसदी की तुलना में 17.2 फीसदी पहुंच गई जबकि खरबूज की महंगाई 0.8 फीसदी से उछलकर 8.9 फीसदी पहुंच गई। गर्मियों में आइसक्रीम की बहुत खपत होती है। इसकी कीमत में पिछले छह साल में औसतन 2.9 फीसदी तेजी आई है। हालांकि इस दौरान विमान किराए में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला है। 2017 में इसमें 23.5 फीसदी और 2022 में 14.7 फीसदी तेजी रही। लेकिन बाकी वर्षों में इसमें भारी गिरावट देखने को मिली।