नई दिल्ली: दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से भी निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। सीबीआई ने रविवार को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। सोमवार को विशेष अदालत ने सिसोदिया को 4 मार्च तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था। अपनी गिरफ्तारी को लेकर डिप्टी सीएम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को लागू करने में भ्रष्टाचार के सिलसिले में सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी सीएम कीे ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंंघवी पेश हुए। उन्होंने जमकर दलीलें दीं। लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। बेंच ने कहा कि वह मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। अगर ऐसा किया गया तो हर केस में ऐसा करने के लिए कहा जाएगा। सिर्फ इसलिए कि दिल्ली में यह घटा है, इसका मतलब यह नहीं सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप करे। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया के पास वैकल्पिक उपाय हैं। लिहाजा, याचिका को खारिज कर दिया गया।
मंगलवार को जब मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया तो बेंच ने कहा कि सिसोदिया को राहत के लिए हाईकोर्ट जाना चाहिए था। उसने विनोद दुआ और अरनब गोस्वामी मामले से इस केस के अलग होने की बात भी कही।
सिंघवी ने इस बात को भी उठाया कि केस में एफआईआर अगस्त 2022 में फाइल हुई थी। जांच में सिसोदिया ने पूरा सहयोग दिया था। उन्हें दो बार समन भेजा गया और वह इसके लिए पहुंचे। उन्होंने दलील दी कि सिसोदिया जड़ों से जुड़े हुए मंत्री हैं। उनके साथ कहीं भाग जाने का खतरा नहीं है। लिहाजा, अरुणेश कुमार जजमेंट में ट्रिपल टेस्ट की जो शर्ते रखी गई थीं उन्हें पूरा किया जाना था।
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