नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-(2020) को लागू हुए तीन वर्ष से अधिक हो चुके हैं, लेकिन दिल्ली के स्कूलों में अभी भी यह दिल्ली विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान के इंतजार में लागू नहीं हो पा रही है।
शिक्षा निदेशालय ने इस माह 1700 से अधिक निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी और पहली में दाखिले के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत तीन वर्ष के बच्चे के लिए नर्सरी, चार वर्ष के लिए केजी और पांच वर्ष के लिए पहली में दाखिले की उम्र सीमा तय कर रखी है, लेकिन एनईपी में पहली में दाखिले के लिए उम्र सीमा छह वर्ष तय की गई है।
एनईपी के तहत पहली कक्षा से पहले प्री-प्राइमरी कक्षाओं में तीन वर्ष की नीति लागू करनी है। यानी इसके तहत एक बालवाटिका की कक्षा और जुड़नी है, लेकिन शिक्षा निदेशालय ने नर्सरी दाखिला प्रक्रिया के दिशानिर्देश जारी कर दिए पर यह स्पष्ट नहीं किया कि कब से स्कूलों में बालवाटिका की एक अतिरिक्त कक्षा शुरू होगी, जबकि देश के विभिन्न राज्य एनईपी के तहत स्कूली शिक्षा में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में तीन वर्ष की नीति को लागू करने में दिल्ली से आगे निकल चुके हैं।
इन राज्यों ने 2020 में ही लागू कर दी थी NEP
उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, गोवा, पंजाब और गुजरात कुछ ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने वर्ष 2020 में एनईपी लागू होते ही इसे अपनाने की भूमिका शुरू कर दी थी और बीते तीन वर्षों में इसे लागू भी कर दिया है, पर दिल्ली का शिक्षा विभाग इस नीति को लागू करने में कई अन्य राज्यों के शिक्षा विभाग से पिछड़ता जा रहा है।
दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने प्री-प्राइमरी में एक अन्य कक्षा जोड़ने और छात्रों की विविध आवश्यकताओं, शैक्षणिक दृष्टिकोण और टीचिंग-लर्निंग को देखते हुए मूलभूत शिक्षा के चरण के पुनर्गठन को लेकर सभी शिक्षकों, अभिभावकों और विभिन्न हितधारकों से 20 अप्रैल को सुझाव मांगे थे। सभी ने अपने सुझाव भी दिए थे, पर उनको अमलीजामा पहनाने का कार्य पूरा नहीं किया गया।
निजी स्कूलों के विभिन्न संगठनों के मुताबिक, प्री-प्राइमरी में एक अतिरिक्त कक्षा जोड़े जाने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। 60 प्रतिशत स्कूलों के पास बुनियादी ढांचा है और 40 प्रतिशत के पास नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों को शिक्षा निदेशालय के दिशानिर्देश और दिल्ली विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान 2041 का इंतजार है।
यह है NEP की बालवाटिका नीति
इस नीति के तहत फाउंडेशनल स्टेज के पांच वर्ष तय किए गए हैं, जिसमें प्री-प्राइमरी (नर्सरी, केजी और अपर केजी या बालवाटिका) के तीन वर्ष और प्राइमरी (कक्षा एक और दो) कक्षाओं के दो वर्ष शामिल हैं। इसमें ये भी स्पष्ट किया गया था कि कक्षा एक के पहले प्री-प्राइमरी की जो कक्षा संचालित की जाएगी वो बालवाटिका कहलाएगी।
एनईपी के तहत बच्चों को संज्ञानात्मक और भाषाई दक्षताओं के ज्ञान से तैयार करने के लिए प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एक वर्ष का बालवाटिका कार्यक्रम कक्षा एक से पहले शुरू करने की परिकल्पना की गई है। वहीं, शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता से फोन व मैसेज के माध्यम से मामले में पक्ष मांगा गया लेकिन नहीं मिला।