नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में फरवरी के महीने में तेजी से तापमान बढ़ा है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार दिल्ली में सोमवार का दिन गर्म रहा और अधिकतम तापमान सामान्य से सात डिग्री अधिक 32.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। IMD की ओर से पिछले हफ्ते एक चेतावनी जारी की गई थी जिसमें कहा गया था कि उत्तर पश्चिम, पश्चिम और मध्य भारत में अधिकतम तापमान आने वाले समय में सामान्य से 3-5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा। दिल्ली में 21 फरवरी को पांच दशक तीसरी बार फरवरी के महीने में सबसे अधिक तापमान 33.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिल्ली समेत देश के दूसरे हिस्सों में मार्च में तापमान 40 डिग्री के पार जा सकता है। मार्च के पहले सप्ताह में ओडिशा के कुछ क्षेत्रों में तापमान 40 से 42 डिग्री तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के अधिकांश तटीय और पश्चिमी हिस्सों में तापमान में 3 से 5 डिग्री की वृद्धि होगी। ऐसा ही अनुमान देश के कई और राज्यों के लिए भी लगाया गया है। आखिर मौसम में आए इस बदलाव की वजह क्या है?
फरवरी का तापमान और मार्च महीने में जिस प्रकार की गर्मी का अनुमान लगाया गया है उसके बाद यह सवाल है कि क्या हीटवेव की शुरुआत जल्द होने वाली है। तापमान में वृद्धि कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है। बारिश का कम होना एक बड़ा कारण है। मौसम के जानकारों का कहना है कि नवंबर और दिसंबर के दौरान कोई महत्वपूर्ण पश्चिमी विक्षोभ नहीं था। मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा की कमी देखी गई। कम बारिश का नतीजा रहा कि हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में तेजी से तापमान बढ़ा।
पश्चिमी विक्षोभ का यह कैसा असर
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में बारिश की वजह से तापमान गिर जाता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तरी हवाओं को रोके रखा। इससे गर्मी बढ़ रही है। पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंसेस) जो उत्तर भारत में ठंड के आगमन का संकेत देते हैं। वह इस मौसम में बारिश और तूफान जैसे हालात बनाती हैं, जो मध्य सागर में बनकर यहां पहुंचती हैं। ये हवाएं जाती तो पश्चिमी भारत की ओर हैं, लेकिन असली असर हिमालय और आसपास के इलाकों में पैदा करती हैं। इन्हीं की वजह से पहाड़ों के आसपास बर्फ गिरती है और समूचे उत्तर पश्चिम क्षेत्र में नवंबर से लेकर फरवरी के बीच बारिश होती है और तापमान गिरने लगता है। लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिला।
हीटवेव के पीछे की क्या है कहानी
एक रिपोर्ट के अनुसार गर्म हवा चलने के पीछे कई कारण हैं। वसंत ऋतु में हवा आमतौर पर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम से आती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कई कारणों से भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। इन दिशाओं से हवा चलने की वजह से मध्य पूर्व और भूमध्य रेखा के करीब के अक्षांश अन्य क्षेत्रों की तुलना में मध्य पूर्व तेजी से गर्म हो रहा है और यह गर्म हवा के स्रोत के रूप में कार्य करता है जो भारत की ओर बहती है। इसी तरह उत्तर-पश्चिम से बहने वाली हवा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के पहाड़ों पर बहती है। जो भारत में बहने वाली हवाओं को और गर्म कर रही है। यह कोई पहली बार नहीं है। इसके पहले भी इस तरह मौसम में बदलाव देखे जा चुके हैं, लेकिन पिछले कुछ कुछ वर्षों में इस तरह की स्थिति ज्यादा देखने को मिल रही है। पर्यावरण में धीरे-धीरे जो बदलाव हो रहे हैं, उस वजह से मौसम के तेवर बदल रहे हैं और गर्मी के दिन बढ़ते जा रहे हैं।