स्मृति स्थल में कल्पवृक्ष का रोपण किया गया




ब्यूरो बांदा
बांदा- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस चंद्रशेखर आजाद के निकट सहयोगी रहे जनपद के प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी क्रांतिवीर पंडित गोपीनाथ दनादन जी की स्मृति में आज कलेक्ट्रेट परिषद में अपर जिला अधिकारी वित्त/ राजस्व राजेश कुमार जी के कर कमलो द्वारा जिलाधिकारी श्री नगेन्द्र प्रताप जी के निर्देश पर कल्पवृक्ष रोपित किया गया इस अवसर पर डीएफओ अरविंद कुमार कलेक्ट्रेट के अनेक प्रशासनिक अधिकारी प्रदेश महामंत्री डॉक्टर संजय द्विवेदी दनादन संकटा प्रसाद त्रिपाठी चित्रकूट मंडल अध्यक्ष सत्य प्रकाश द्विवेदी एडवोकेट सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे ।आजादी के शलाका पुरुष क्रांतिकारी पं० गोपीनाथ दनादन अत्यन्त ही सादा और सरल जीवन व्यतीत करने वाले सच्चे गाँधीवादी विचार धारा के पोषक,भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख सेनानी, प्रख्यात राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक समर्पित और उत्साही व्यक्तित्व ही नहीं वरन् एक अच्छे संगठनकर्ता और पीड़ितों के उत्थान के लिए कार्य करने वाले थे।
सन् 1921 में असहयोग आन्दोलन में देश की आजादी के लिए आगे आए। 1928 में विदेशी कपड़ों का बहिष्कार, 1930 में नमक सत्याग्रह,1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में क्रमशः 3 माह, 6 माह 1 वर्ष तक जिला कारागार बाँदा में निरूद्ध रहे। जहाँ पर अनेक यातनाएं भोगी जेल में वैरिक नम्बर 10 में आगजनी करने पर धारा 52 प्रिन्ट के अर्न्तगत 1 वर्ष तक तन्हाई में नजरबंद रहे। 1927 में चन्द्रशेखर आजाद एवं 1941 में बाबू सुभाष चन्द्र बोस गुप्त रूप से इनके निवास पर आकर रूके और क्रांतिकारियों से गुप्त मंत्रणा की गई।
“आजाद” से कई क्रांतिकारियों ने प्रागी तालाब मन्दिर में शस्त्र प्रशिक्षण प्राप्त किया गया ।1952 में विनोवा भावे जी के भूदान आन्दोलन में पैदल यात्रा की गई। 1961 में आप चेयरमैन (वित्त) न०पा०प० बाँदा स्वतंत्रता संग्राम
सेनानी कल्याण परिषद के अध्यक्ष रहे और सेनानी परिवारों के लिए कार्य करते रहे। पं0 दनादन जी महाराज को भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिस योगदान एवं देश सेवा के क्षेत्र में चिरस्मणीय योगदान के लिए “राष्ट्र” की और से प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी,चौधरी चरण सिंह, राजीव गाँधी, पी0वी0 नरसिम्हा राव,अर्जुन सिंह, पं० कमलापति त्रिपाठी तथा महामहिम राज्यपाल मोतीलाल बोरा द्वारा अभिनान्दित व ताम्रपत्र,मैडल, प्रमाण पत्र,अभिनन्दन पत्र तथा सम्मान शॉल ओढाकर अनेक पुरूष्कारों से सम्मानित हुए। हम सब स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति श्रद्धावनत है, जिनके त्याग और तपस्या के फलस्वरूप देश स्वतन्त्र हुआ और परतंत्रता की श्रंखला से मुक्ति मिली।
