*मैहर में खनिज विभाग बना दलाल, अवैध खनन पर मौन*
मैहर के बदेरा ग्राम में संचालित दिलीप जैन की छुई खदान अवैध खनन का अड्डा बन चुकी है, लेकिन खनिज विभाग के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो वे शासन के नहीं, खनिज माफियाओं के नौकर बन बैठे हों। RTI में मांगी गई जानकारी पर विभाग का जवाब और भी चौंकाने वाला है—कहा गया कि माइनिंग प्लान और नियमों का खुलासा करने से व्यापारियों को नुकसान होगा! ये कौन सा राजकीय गोपनीयता कानून है जिसमें सरकारी लापरवाही छुपाना ही प्राथमिकता बन गई हो? खनिज अधिकारी का रवैया देखकर जनता में यह धारणा बन रही है कि वे अवैध कारोबार के संरक्षण में पूरी निष्ठा से जुटे हैं। शासन की नीतियों का मखौल उड़ाते हुए विभाग ने दोगलापन की सारी हदें पार कर दी हैं। यह प्रश्न अब प्रशासन से नहीं, शासन से है—क्या अधिकारी माफियाओं की सेवा के लिए नियुक्त किए जाते हैं?





