उत्तर प्रदेश में भेड़ियों का आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया है कि कोई भी जंगली जानवर दिखने पर उसे भेड़िया समझा जा रहा है. मिर्जापुर जिले से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहां गांव वालों ने लकड़बग्घा को भेड़िया समझकर हल्ला मचाना शुरू कर दिया, जिसके बाद लकड़बग्घा पास के ही एक कच्चे मकान में जाकर छिप गया. वहीं पूरे मामले पर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लकड़बग्घा हिंसा करने वाला जानवर नहीं होता.
उत्तर प्रदेश में भेड़ियों की दहशत इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोग डरे-सहमे नजर आ रहे हैं. प्रदेश में एक के बाद एक हुए भेड़ियों के हमले की घटना में कई लोगों की मौत हो चुकी है. इस कारण से लोगों में भेड़ियों की दहशत है. ताजा मामला मिर्जापुर जिले के संत नगर थाना क्षेत्र के कुहूंकी गांव का है. यहां एक लकड़बग्घा जंगल से निकलकर गांव में घुस गया तो गांव वालों ने उसे भेड़िया समझकर चिल्लाना शुरू कर दिया. इसके बाद लकड़बग्घा अपनी जान बचाने के लिए गांव में इधर-उधर भागते हुए एक कच्चे मकान घुस गया.
कच्चे घर में छिपा लकड़बग्घा
लकड़बग्घे के कच्चे घर में घुसते ही गांव वालों ने उसे भेड़िया समझ कर घेर लिया. इस दौरान गांव वालों ने लाठी-डंडों के साथ लकड़बग्घे को भेड़िया समझ कर हमला करने की सोची. कई घंटों की पहरेदारी के बाद गांव वालों ने जंगली जानवर के गांव में घुस जाने की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी. घटना की जानकारी लगते ही मौके पर वन विभाग के अधिकारी पहुंचे. वहीं, मौके पर पहुंची टीम ने भेड़िए के होने की बात को गलत ठहराते हुए लकड़बग्घे के घर के अंदर होने की बात कही.
रेस्क्यू में जुटी वन विभाग की टीम
बताया जा रहा कि गांव से बाहर रहने वाले बसंत कोल ने अपना एक कच्चा घर बना रखा है. गुरुवार दोपहर करीब एक बजे लकड़बग्घा कच्चे घर में घुस गया था. वहीं, पूरी घटना पर गांव वालों का कहना है कि लकड़बग्घे को पिंजड़े में पकड़कर गांव से बाहर ले जाया जाए. सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम लकड़बग्घे को पकड़ने की कोशिश में जुटी हुई है.
वन विभाग की टीम के साथ पहुंचे रेंजर केके सिंह भी रेस्क्यू में जुटे हुए हैं. पूरे मामले में DFO अरविंद राज मिश्रा ने बताया कि घर के अंदर भेड़िया नहीं है, बल्कि लकड़बग्घा है. अरविंद राज मिश्रा बताया कि मुख्यालय से पिंजड़ा मंगाया गया है. जल्द ही लकड़बग्घे का रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया जाएगा.