हमीरपुर ब्यूरो :–
ग्राम प्रधान ने नाबालिग पुत्र सहित अन्य रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी जाब कार्ड बनाकर लगभग डेढ लाख रूपये का भुगतान कराया तो जेल मे निरूद्व व्यक्ति के नाम पर भी मोटा भुगतान हुआ। जबकि घोटाले मे जांच से बचने के लिये 489 जॉब कार्ड डिलीट भी किये ,जिनमें एक हजार से अधिक श्रमिक फर्जी तरह से पंजीकृत थे। जिसकी पुष्टि मनरेगा श्रम उपायुक्त ने जांच मे करते हुये अपनी रिपोर्ट ग्राम विकास आयुक्त को प्रेषित की है।
मामला विकास खण्ड मौदहा अन्तर्गत ग्राम सिजनौडा का है जहां मनरेगा श्रम उपायुक्त हमीरपुर द्वारा 12 बिन्दुओ पर की गयी जांच की शिकायतकर्ता ने बताया कि उसकी शिकायत पर जो जांच हुयी उसमे जांच अधिकारी ने फर्जी जाब कार्ड डिलीट होने की पुष्टि करने सहित प्रधान के नाबालिग पुत्र व रिश्तोदारों के नाम पर बने जाब कार्ड मे हुये भुगतान को सही पाया गया किन्तु जांच अधिकारी ने मनरेगा योजनान्तर्गत जेसीबी से कराये गये कच्चे कार्य जिसमे चक मार्ग भी शामिल है सहित गुणवत्ताविहीन पक्के कार्य , के घोटालों को नजरअन्दाज किया है जिसके लिये वह श्रम उपायुक्त से पुनः जांच की मांग करेंगे।
वहीं उक्त मामले मे मनरेगा श्रम उपायुक्त हमीरपुर द्वारा बताया गया कि शिकायतकर्ता के 12 बिन्दुओ पर गहनता से जांच करने के बाद जो तथ्य व साक्ष्य सामने आये उसके आधार मनरेगा जाब कार्ड मे भारी कमियां मिली है जबकि ग्राम प्रधान के नाबालिग पुत्र के नाम पर भी मनरेगा से भुगतान हुआ है। उन्होने अपनी जांच रिपोर्ट आयुक्त ग्राम विकास लखनऊ को प्रेषित कर दी है। जल्द ही सम्बन्धित दोषियों पर मुकदमा पंजीकृत कर कठोर कार्यवाही अमल मे लायी जायेगी।
गौरतलब है कि 55 करोड से अधिक रूपये खर्च करने के बाद जब विकास खण्ड मौदहा के अधिकारियों सहित जनपदीय अधिकारी प्रदेश के मुखिया से सम्मानित किये गये तो उसके बाद ऐसा ही सम्मान पाने की होड मे जनपद के सातो विकास खण्ड की 330 ग्राम पंचायते जाब कार्ड व मोबाईल मानीटरिंग सिस्टम मे बडा खेल कर करोडो रूपये ठिकाने लगाने के लिये प्रयासरत है। हालाकि केन्द्र सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना मे निगरानी कर्ताओ की टीम लगातार निगरानी मे लगी रहती है , पूरा सिस्टम आनलाइन है किन्तु इसके बाद भी यदि बडे पैमाने पर धांधली हो रही है तो निगरानी सिस्टम पर सवाल बनता है, जो जांच का विषय है।