पिछले साल नवंबर की बात है। ‘टाइम्स नाउ’ का समिट था। अमित शाह से वह सवाल पूछा गया था जिसका जवाब 10 साल से BJP विरोधी खेमा दूरबीन लेकर ढूंढ रहा है। जिसे पाने के लिए राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर छान आए हैं। सवाल था- क्या आप चुनाव जीतने की मशीन साथ लेकर चलते हैं?BJP के पास ऐसा कौन सा नुस्खा है कि वह चुनाव मैदान में तेजी से निकल पड़ती है और कारपेट बॉम्बिंग शुरू कर देती है? अमित शाह ने जवाब जरा घुमाकर दिया था। वह बात को जनसंघ के उन कड़की वाले दिनों तक ले गए थे, जब एक सीट की जीत भी उत्सव थी। और फिर अपनी पार्टी की विचारधारा की वह ‘मायावी’ लाइन दिखाई, जिसके आगे-पीछे कांग्रेस 2014 से भ्रमित होकर घूम रही है। हाथ जला रही है।
BJP ने जीत की मशीन यहां रखी है
तो शुक्रवार शाम दिल्ली के उस जगह का दृश्य देखिए जहां BJP ने जीत की यह मशीन रखी है। यही वह वर्कशॉप है जहां BJP अपनी गाड़ी मे वह ईंधन डालती है, जिसका तोड़ किसी के पास नहीं है। पिछले 9 सालों से उसकी रफ्तार कोई पकड़ नहीं पा रहा। BJP की जीत कहां से निकलती है, इसका इशारा ये तस्वीरें करती हैं। विपक्ष को इन्हें जरूर देखना चाहिए। खासकर इसकी टाइमिंग, गर्मजोशी, अनुशासन…।
पूरब में कमल खिलाने का प्लान तैयार
6A, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग। कल वे 15 वहां फिर जुटे। नड्डा हाथ में गुलाब लिए खड़े हैं। वह अभी-अभी कार से उतरे PM मोदी की तरफ बढ़ते हैं। गुलाब उन्हें देते हैं। हाथ में गुलाब है, पर चक्रव्यूह कमल खिलाने का रचा जाना है। चुनावी चक्रव्यूह रचने वाले बाकी 13 सदस्य एक बड़ी सी आयताकार मेज में बैठे हैं या बैठ रहे हैं। BJP की केंद्रीय चुनाव समिति की इस बैठक में एक बार फिर जीत का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया जाता है।
BJP की बोर्ड परीक्षा और मोदी के मंत्र
PM मोदी ने शुक्रवार को परीक्षा में बैठने जा रहे बच्चों को पास होने का मंत्र दिया था। पर उनकी पार्टी के लिए भी यह एग्जाम का वक्त है। 2024 में बोर्ड है। नौ सेमेस्टर इस साल होने हैं। अगले महीने से पहले तीन- त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड के पेपर हैं।
इस बार क्लास का अव्वल छात्र कौन?
त्रिपुरा दांव पर है। छोटा राज्य है, पर मोटिवेशन का डोज यहीं से मिलना है। बीजेपी को भी और विपक्ष को भी। क्लास में 25 साल से अव्वल आ रहे छात्र वाम मोर्चा को 2018 में BJP ने हैरान किया था। BJP डिक्सटिंशन के साथ पास हुई थी। किसी जमाने में लेफ्ट से पहले कांग्रेस क्लास का सबसे होनहार छात्र था। पर उसकी गति अब दूसरी है। इस बार लेफ्ट के साथ उसे एक बेंच में एक चौथाई से भी कम जगह पर बैठना पड़ा है। सब वक्त का खेल है।