लोक कल्याण के नाम पर बनाए गए ट्रस्ट और संस्थाओं ने नियम विरुद्ध तरीकों से इनकम टैक्स छूट हासिल की है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने ट्रस्ट और संस्थाओं से जुड़े 6.89 लाख मामलों की जांच के बाद यह खुलासा किया है। आयकर विभाग ने इनमें से 25 हजार मामलों की जांच की है।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार 23 राज्यों में 21 हजार से अधिक ट्रस्ट और संस्थाएं ऐसी थीं, जो इनकम टैक्स के सेक्शन 12एए के तहत रजिस्टर्ड नहीं थीं, इसके बावजूद इसके तहत मिलने वाली छूट हासिल की। यह छूट 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की थी।
संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन पेश कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। आयकर अधिनियम के तहत नाजायज छूट हासिल करने वाले ट्रस्टों और संस्थानों में सबसे अधिक 3,745 महाराष्ट्र के हैं। महाराष्ट्र की संस्थाओं को 2,500 करोड़ रुपए की छूट इस प्रावधान के तहत मिल गई।
गुजरात के 3,325 ट्रस्टों और संस्थाओं ने 1,119 करोड़ रु. की छूट हासिल की। इसके बाद उत्तर प्रदेश है, जहां के 2,117 ट्रस्ट और संस्थाओं ने 1,812 करोड़ रु. से अधिक की छूट प्राप्त की। रकम के मामले में दिल्ली के ट्रस्ट-संस्थानों को 4,245 करोड़ रुपए से अधिक की गैर वाजिब छूट मिल गई। कैग ने कहा है कि ट्रस्टों और संस्थाओं ने सिस्टम की खामियाें और नियमों के लचीलेपन के कारण छूट के गलत क्लेम हासिल कर लिए।
कनार्टक के ट्रस्टों को 165 करोड़ रु. का विदेशी चंदा
347 ट्रस्ट बिना एफसीआरए रजिस्ट्रेशन विदेशी चंदा ले रहे थे। कर्नाटक के ट्रस्टों ने सर्वाधिक 165 करोड़ रुपए की छूट विदेशी चंदे पर हासिल की। कर्नाटक के इन ट्रस्टों में एक भी एफसीआरए के तहत पंजीकृत नहीं था। महाराष्ट्र के 48 ट्रस्ट और संस्थानों ने विदेशी चंदा ले लेकर 122 करोड़ रु. की छूट पाई। जबकि एफसीआरए पंजीकरण नहीं था। केरल के 53 संस्थानों ने 107 करोड़ की छूट विदेशी चंदे पर ली।
क्या है अधिनियम 12एए
आयकर अधिनियम 1996 की धारा 12एए में गैर-लाभकारी संगठनों जैसे धर्मार्थ ट्रस्ट, कल्याणकारी समाज, गैर सरकारी संगठन, धार्मिक संस्थान आदि को टैक्स में छूट दी जाती है। कर राहत इसलिए दी जाती है, क्योंकि ये संस्थाएं सामाजिक कल्याण के लिए काम करती हैं, लाभ कमाने के लिए नहीं।
क्या है विदेशी चंदे का कानून
सामाजिक कार्यों के लिए विदेशों से चंदा पाने के लिए किसी भी गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) को एफसीआरए के तहत पंजीकरण कराना होता है। इस अधिनियम को आपातकाल के दौरान 1976 में लागू किया गया। तब विदेशी संगठनों द्वारा अस्थिरता फैलाने के लिए फंडिंग की आशंका थी।