दिल्ली में परिवहन विभाग के अधिकारी और दिल्ली पुलिस बाइक से सामानों की डिलीवरी करने वालों का धड़ाधड़ चालान काट रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि एक डिलीवरीमैन से तो 15,000 रुपये का चालान वसूला गया। इतनी रकम तो वे महीने भर में नहीं कमाते। इनका कहना है कि एक तो सरकार उन्हें नौकरी नहीं दे रही है। वह किसी तरह बाइक खरीद कर मेहनत की रोटी कमा रहे हैं तो सरकार उन्हें रोक रही है। ऐसे में वे क्या करें?
दिल्ली में क्यों कट रहे हैं चालान
दिल्ली के परिवहन विभाग (Transport Department) ने एक नोटिस निकाला है। इस नोटिस के जरिए बाइक टैक्सी (Bike Taxi) को प्रतिबंधित किया गया है। इसमें कहा गया है कि ओला, ऊबर और रैपिडो में बाइक चलाने वाले प्राइवेट रजिस्ट्रेशन नंबर वाले टू-व्हीलर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह प्राइवेट नंबर वाले बाइक से कॉमर्शियल ऑपरेशन कर रहे हैं। यह मोटर व्हीकल एक्ट 1988 का उल्लंघन है। अब अगर किसी प्राइवेट बाइक का इस्तेमाल टैक्सी सर्विस के रूप में किया जाएगा तो पहली बार 5000 रुपये और दूसरी या बाद में 10,000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही ड्राइवर के ड्राइविंग लाइसेंस को कम से कम 3 साल के लिए सस्पेंड कर दिया जाएगा।
डिलीवरीमैनों का भी कटने लगा चालान
दिल्ली सरकार का यह आदेश तो बाइक टैक्सी के लिए था। मतलब कि अपने मोटरसाइकिल या स्कूटर पर सवारी बिठाने को रोकना था। लेकिन इसी आदेश की आड़ में अधिकारी वैसे डिलीवरीमैनों का भी चालान काटने लगे हैं जो बाइक से सामान की डिलीवरी कर रहे हैं। आज की तारीख में हजारों लोगों को सामान की डिलीवरी में रोजगार मिला हुआ है। जिनके पास पैसे नहीं हैं, वे लोन लेकर बाइक खरीद रहे हैं और स्विगी, जोमेटो, बिग बास्केट, ब्लिंकिट आदि कंपनियों से जुड़ कर सामानों की डिलीवरी कर रहे हैं।
15,000 रुपये का कट गया चालान
फूड डिलीवरी प्लेटफार्म स्विगी के डिलीवरीमैन पीयूष कुमार के साथ तो गजब हो गया। उन्हें बीतें दिनों पांच नंबर वालों ने रोका। दिल्ली में परिवहन विभाग के अधिकारियों को ड्राइवर कम्यूनिटी पांच नंबर के नाम से पुकारती है। पीयूष का कहना है कि उनसे न तो कागज मांगा गया न ही डीएल के लिए पूछा गया। सीधे फोटो खींचा और बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के वाहन चलाने के लिए 10 हजार रुपये जबकि बाइक टैक्सी के लिए पांच हजार रुपये का चालान काट दिया। पीयूष ने हमें बताया कि उनके पास एक साल की वैलिडिटी वाला पोल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट था।
ऐसे ही रोक लगेगी तो कैसे पालेंगे परिवार को
पीयूष का कहना है वह न तो सवारी ढो रहे हैं ना ही टैक्सी चला रहे हैं। वह तो स्विगी के सामानों की डिलीवरी कर रोटी कमा रहे हैं। इस पर भी दिल्ली सरकार की नजर लग गई है। रोज महज कुछ सौ कमाने वालों का का चालान काटा जा रहा है। ऐसे में वे अपना परिवार कैसे पालेंगे? वह पूछते हैं "सरकार क्या चाहती है कि हम ईमानदारी से काम करने के बजाए किसी और रस्ते पर चल पड़ें?"
सरकार से स्पष्टीकरण की मांग
फूड डिलीवरी करने वाले प्लेटफॉर्म्स ने इस पर दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है। इनका दावा है कि बाइक टैक्सी सर्विस के बैन पर जारी नोटिस की गलत व्याख्या की गई है। स्विगी ने सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध की आड़ में फूड डिलीवरी करने वालों पर 15,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा रहा है। स्विगी के एक प्रवक्ता ने कहा, "दिल्ली में बाइक टैक्सी सर्विस के नियमों में हाल के बदलावों ने फूड डिलीवरी एग्रीगेटर्स के लिए व्यवधान पैदा किया है। उक्त नोटिस सिर्फ बाइक टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर पर लागू हो रहा है। इसके बावजूद हमारे डिलीवरी बॉय के गलत तरीके से चालान जारी किए जा रहे हैं।"
बाइक टैक्सी वाले भी कर रहे हैं प्रदर्शन
दिल्ली में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ बाइक टैक्सी के ड्राइवरों ने विरोध शुरू कर दिया है। बीते शनिवार को इन्होंने विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली स्थित एक स्वयंसेवी संगठन ‘एम्पावरिंग ह्यूमेनिटी’ द्वारा आयोजित इस प्रोटेस्ट में बेरोजगार हो चुके 100 से ज्यादा बाइक टैक्सी राइडर्स शामिल हुए थे। इनमें ओला, उबर और रैपिडो, तीनों एग्रीगेटर्स से जुड़े ड्राइवर शामिल थे। कई लोगों ने अपने हाथों में प्लेकार्ड्स भी ले रखे थे, जिन पर ‘रोको नहीं कमाने दो, बाइक टैक्सी चलाने दो’ और ‘लाखों का सहारा बाइक टैक्सी हमारा’ जैसे नारे लिखे हुए थे।