राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने युवाओं से आह्वान किया है कि वंचित और पिछड़े क्षेत्रों में जाकर जन-समुदाय में जन-जागरण के प्रयास करें। उन्होंने कहा कि गरीब को आगे बढ़ाने में हाथ पकड़ कर साथ लेकर चलने के भाव से उनका सहयोग करें। यही राष्ट्र और समाज की सच्ची सेवा होगी।
राज्यपाल श्री पटेल आज राधारमण शिक्षा समूह द्वारा आयोजित वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने 3 प्राध्यापक, 1 पूर्व छात्र और 6 विद्यार्थी को भी सम्मानित किया।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि राष्ट्र और समाज के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है। ज़रूरी है कि छात्र-छात्राएँ सामाजिक सरोकारों में प्रभावी योगदान दें। विद्यार्थी ग्रामीण अंचल में केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को पहुँचाने में सहयोग करें। सिकल सेल और टी.बी. जैसे रोगों के उन्मूलन प्रयासों के प्रति जन-मानस को सजग और सचेत करें। उन्होंने शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य के प्रति सजग होने की ज़रूरत बताई और विद्यार्थियों से कहा कि खान-पान के प्रति सावधानी रखें। स्वास्थ्य के लिए आवश्यक और मौसम अनुकूल आहार ही ग्रहण करें। कुछ भी खा लेने की प्रवृत्ति हानिकारक होती है। नियमित रूप से योग और व्यायाम करें।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव राष्ट्र के अतीत के गौरव से वर्तमान पीढ़ी को परिचित और आज़ादी के सौ वर्षों की पूर्णता पर राष्ट्र के भविष्य निर्माण के लिए प्रतिबद्ध भावी पीढ़ी तैयार करने का प्रसंग है। जरूरी है कि युवा, विश्व के ज्ञान का केंद्र, समृद्धता और वीरता की मिसाल बनाने वाला भारत देश के परतंत्र होने के कारणों को समझें। राष्ट्र के लिए जीवन का बलिदान करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के भाव और भावनाओं को ग्रहण करें। मातृभूमि के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से प्रेरणा लेकर राष्ट्र के विकास में सहयोग करें।
मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह ने कहा कि जीवन में निरंतर प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि असफलता, नवाचार के प्रयासों का प्रतीक होती है। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए युवाओं में सदाचरण, अध्ययन शीलता, आशावाद, दृढ़ निश्चय और स्वस्थ शरीर का होना जरूरी है। समाजसेवी डॉ. अभिजीत देशमुख ने युवाओं को आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि निरंतर कौशल उन्नयन, विकास और नवाचार का आधार होता है। युवाओं से कहा कि सबके साथ और सहयोग से आत्मनिर्भर भारत निर्माण में सहयोग करें।
भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर के निदेशक श्री हिमांशु राय ने कहा कि लक्ष्य के लिए पूर्ण क्षमता के साथ संकल्पित प्रयास ही व्यक्ति का स्वधर्म है। उन्होंने कहा कि नवाचार के लिए धन होने की अवधारणा निराधार है। वास्तविकता यह है कि नवाचार से धन मिलता है। धनार्जन के प्रयास आवश्यकता के लिए किए जाने चाहिए, इच्छाओं के लिए नहीं; क्योंकि इच्छाएँ अनियंत्रित होती हैं। नवाचार के लिए दृढ़ निश्चय के साथ कार्य करें। वही करें जो स्वयं को सही लगे। अन्य के विचारों से जीवन में उपलब्धि मिलती है, आत्म संतुष्टि नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि नवाचार के लिए असफलता के भय से मुक्त होना ज़रूरी है। परिश्रम के साथ ही पूर्ण क्षमता के साथ निरंतर प्रयास ही सफलता का आधार है।
प्रारम्भ में समूह के चेयरमेन श्री राधारमण सक्सेना ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि समूह शिक्षा के प्रकाश को फैलाकर राष्ट्र निर्माण के पथ पर आगे बढ़ रहा है। समूह का प्रयास है कि आधुनिकतम शिक्षा और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर विश्व-स्तरीय शिक्षा संस्थान की स्थापना की जाए।
डॉ. अनुराग जैन ने आभार माना। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। अतिथियों को शाल, श्रीफल, पौधा और स्मृति-चिन्ह भेंट किए गए।