नई दिल्ली: इस साल फरवरी में ही गर्मी की जो तपिश दिखी है, उससे किसान परेशान हैं। इसका असर गेहूं की फसल (Wheat Crop) पर तो दिखा ही है, सरसों (Mustard Crop) पर भी दिखा है। इस साल सरसों की उपज में करीब पांच फीसदी की कमी आ गई है। इसके बावजूद परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि इस साल सरसों का रकबा बढ़ा है। इसलिए सरसों का उत्पादन (Mustard Production) पिछले साल से ज्यादा रहा है। यही नहीं, पिछले साल का करीब छह लाख सरसों भी बचा हुआ है। इसलिए माना जा रहा है कि इस साल सरसों तेल के दाम काबू में ही रहेंगे।
पिछले साल से ज्यादा रहा है उत्पादन
सरसों का रकबा बढ़ा है
इस साल देश में सरसों की खेती का रकबा बढ़ा है। COOIT से मिले आंकड़े के मुताबिक पिछले साल देश भर में 86.04 लाख हैक्टेअर क्षेत्र में सरसों की खेती की गई थी। यह इस साल बढ़ कर 92.48 लाख हैक्टेअर तक पहुंच गया है। हालांकि इस साल सरसों की उपज कम हुई है। पिछले साल प्रति हैक्टेअर सरसों की यील्ड 1,270 किलो रही थी। वह इस साल यह घट कर 1,221 किलो रह गई है।
सरसों तेल का भाव घटा
नागपाल ने बताया कि नई सरसों का दाम भी घट कर 5,000 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है। इसलिए सरसों तेल की एक्स फैक्ट्री कीमत भी 125 रुपये लीटर से घट कर 106 रुपये तक आ गई है। उनका कहना है कि इस साल सरसों तेल के भाव में कोई खास कमी-बेशी की संभावना नहीं है। जब सरसों तेल की एक्स फैक्ट्री कीमत घटी है तो खुदरा बाजार में भी सरसों तेल का दाम घटना शुरू हो गया है। एक महीने पहले जो सरसों तेल 130 रुपये से 140 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था, वह अब घट कर 120 से 125 रुपये लीटर पर आ गया है।
इंपोर्टेड खाद्य तेलों के भी दाम घटे
भारत में करीब 60 फीसदी एडिबल ऑयल का इंपोर्ट होता है। इनमें पॉमोलीन और सोयाबीन ऑयल की हिस्सेदारी दो तिहाई है। सूर्यमुखी के तेल की भी अच्छी हिस्सेदारी है। इस समय गुजरात के पोर्ट पर इंपोर्टेड रिफाइंड सोयाबीन ऑयल का थोक भाव 105 से 106 रुपये प्रति लीटर बैठ रहा है। इसी तरह सूरजमुखी के तेल का भी थोक भाव 110 से 112 रुपये लीटर तक बैठ रहा है। पॉमोलीन की कीमत 96 रुपये प्रति लीटर है।