धनंजय महापात्रा, नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी याद दिलाई है। अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 200 राज्यपालों को निर्देशित करता है कि वे विधेयकों को ‘जल्द से जल्द’ मंजूरी दें या वापस कर दें। सुप्रीम कोर्ट तेलंगाना सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन पर विधानसभा से पारित हो चुके 10 बिलों पर लंबे वक्त से बैठे रहने की शिकायत की गई थी। हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राज्यपाल के पास कोई विधयेक लंबित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इन बिलों को क्लियर या रिटर्न करने की कोई टाइमलाइन नहीं तय की। मगर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने ‘जल्द से जल्द’ वाली बात जरूर याद दिलाई। सुनवाई के दौरान एसजी और तेलंगाना सरकार के वकील दुष्यंत दवे के बीच तीखी बहस हुई। दवे ने मेहता के लिए कहा, ‘मैंने पिछले 40 साल में आपके जैसा घटिया एसजी नहीं देखा।’
कई राज्यों में सत्ताधारी विपक्षी दलों ने अपने-अपने यहां के राज्यपालों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। गवर्नर्स पर जान-बूझकर बिलों को मंजूरी या वापस करने में देरी के आरोप लगते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का अनुच्छेद 200 की याद दिलाना बेहद अहम है।
आपसे घटिया एसजी नहीं देखा… दुष्यंत दवे ने कहा
तेलंगाना के वकील दुष्यंत दवे ने बेंच पर जनरल रूलिंग का दबाव बनाया। उन्होंने कहा, ‘राज्यों की चुनी हुई सरकारें राज्यपाल की दया पर नहीं छोड़ी जा सकतीं।’ दवे ने भी आर्टिकल 200 का जिक्र करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश और गुजरात के राज्यपाल, जहां बीजेपी की सरकारें हैं, महीने भर के भीतर बिल क्लियर कर देते हैं। इसपर एसजी और दवे के बीच तूतू-मैंमैं शुरू हो गई। एसजी ने कहा कि अब इस बारे में कोर्ट को टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘मैं तेलंगाना के वकील जितना चिल्ला नहीं सकता।’ इसपर दवे ने ऊंची आवाज में कहा, ‘मैंने पिछले 40 साल में आपके जैसा खराब एसजी नहीं देखा। आप मुझसे एलर्जिक है, मैं आपसे एलर्जिक हूं।’
As Soon As Possible का ध्यान रखें गवर्नर: SC
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ‘as soon as possible’ एक्सप्रेशन का ध्यान रखना चाहिए। SC का इशारा उस तरफ था कि राज्यपाल या तो इससे वाकिफ नहीं हैं या इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। एसजी के विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर में इसे रिकॉर्ड किया गया। SG का कहना था कि गवर्नर के ऑफिस ने SC को बताया है कि उनके यहां कोई बिल पेंडिंग नहीं है। उन्होंने कहा कि दो बिल राज्यपाल ने वापस किए हैं। दो बिलों को लेकर कुछ क्लैरिफिकेशन मांगा गया है।
क्या कहना है संविधान का अनुच्छेद 200?
बेंच ने अनुच्छेद 200 के पहले प्रावधान का जिक्र किया। अदालत ने कहा कि राज्यपालों को इसके ‘एज सून एज पॉसिबल’ एक्सप्रेशन का ध्यान रखना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 200 के प्रोविजो 1 में लिखा है, ‘राज्यपाल विधेयक को सहमति के लिए प्रस्तुत करने के बाद यथाशीघ्र उसे वापस कर सकता है, यदि वह धन विधेयक नहीं है।’ अनुच्छेद 200 राज्य विधायिका से पारित विधेयकों को मंजूरी देने के विषय में है।