दिल्ली में कोविड के 1,767 नए मामले
दिल्ली में बुधवार को कोविड के 1,767 नए मामले सामने आए, जबकि कोरोना वायरस संक्रमण से छह मरीजों की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। विभाग के आंकड़ों के अनुसार, शहर में संक्रमण दर 28.63 प्रतिशत रही। राष्ट्रीय राजधानी में कोविड से और छह लोगों की मौत होने के बाद यहां महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 26,578 हो गई है। दिल्ली में मंगलवार को कोविड के 1,537 नए मामले सामने आए थे, जबकि संक्रमण दर 26.54 प्रतिशत दर्ज की गई थी।महाराष्ट्र में कोविड-19 के 1 हजार के पार नए केस
देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना वायरस के केसों में बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है। इसी बीच महाराष्ट्र में कोविड-19 के एक हजार से अधिक नये केस दर्ज किए गए हैं। मेडिकल एजुकेशन मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि कोविड-19 के 1,100 नए मामलों के साथ, महाराष्ट्र सरकार ने गंभीर मामलों के इलाज के लिए अन्य सभी व्यवस्थाओं के साथ मरीजों के लिए 25 समर्पित अस्पताल शुरू किए हैं। कोविड-19 की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा करते हुए महाजन ने राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के डीन के अलावा डॉ. अश्विनी जोशी, राजीव निवात्कर, डॉ. दिलीप म्हैसेकर, डॉ. अजय चंदनवाले, प्राचार्यों सहित अपने विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत की।
हरकत में आई महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर राज्य सरकार महामारी के इलाज के लिए समर्पित 25 अस्पतालों का फिर से संचालन कर रही है। महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने बुधवार को यह घोषणा की। गिरीश महाजन ने कहा, ‘कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच, राज्य ने चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान विभाग के तहत कोविड-19 के इलाज के लिए समर्पित 25 अस्पतालों को फिर से चालू कर दिया है। कोविड-19 के मरीजों के लिए 5,000 बिस्तर, 2,000 से अधिक वेंटिलेटर, 62 तरल चिकित्सा ऑक्सीजन और 37 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र हैं।’ मंत्री ने कहा कि इन अस्पतालों में 10 और 11 अप्रैल को मॉक ड्रिल की गयी थी। महाजन ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वे एक दिन में कोविड-19 के 30,000 से अधिक नमूनों की जांच कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के उपयोगी तरीकों में से एक ड्यूटी के घंटों के दौरान मास्क लगाना है। मैंने डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ से अस्पतालों में मास्क का इस्तेमाल करने को कहा है।’ महाराष्ट्र में मंगलवार को कोविड-19 के 949 नए मामले सामने आए जबकि छह मरीजों की मौत हो गयी।
आठ बच्चों समेत 142 में मिला कोरोना
नोएडा में एक सप्ताह से हर रोज 100 से ज्यादा संक्रमित मिल रहे हैं। बुधवार को जारी रिपोर्ट में आठ बच्चों समेत 142 मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। नोएडा-ग्रेनो में 1793 संदिग्ध लोगों की जांच हुई थी। पॉजिटिविटी रेट 7.91 प्रतिशत रहा। बुधवार को 99 लोग ठीक हुए। सक्रिय केसों में 27 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं सभी की हालत स्थित बताई जा रही है। मंगलवार की देर रात कोरोना संक्रमित एक बुजुर्ग की सेक्टर-39 के कोविड अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई थी। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बुजुर्ग की मौत सिर्फ कोरोना से नहीं हुई है। वह पहले से ही गंभीर बीमारी के शिकार थे। उनकी मौत एमओडीएस (मल्टी आर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम) से हुई है। बुजुर्ग गंभीर एनीमिया बीमारी से भी पीड़ित थे।
कोरोना से रहें सतर्क
अभी तक दिल्ली में कोरोना नियंत्रण में देखा जा रहा है। नए मरीज और संक्रमण दर में जरूर इजाफा हुआ है, लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि स्थिति पूरी तरह से काबू में है। वहीं पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में कोरोना की वजह से हो रही मौत में से कुछ की मौत की प्राइमरी वजह कोरोना बताया जा रहा है। हालांकि, इसके बाद भी एक्सपर्ट का कहना है कि यह बहुत रेयर है। हेल्दी इंसान में इस बार कोरोना खतरनाक नहीं हो रहा है।
एलएनजेपी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर ने कहा कि अभी 20 मरीज एडमिट हैं, जिसमें से 2 वेंटिलेटर पर हैं। वेंटिलेटर वाले दोनों मरीज पहले से बीमार थे, इसलिए वेंटिलेटर की जरूरत हुई। उन्होंने कहा कि हेल्दी इंसान में इस बार संक्रमण नहीं हो रहा है, जिसे हो भी रहा है, उनमें से ज्यादातर पहले से बीमार हैं या उनकी इम्यूनिटी कमजोर है या फिर उनकी ऐसी दवा चल रही है जिससे इम्यूनिटी कम होती है। ज्यादातर मरीज दो से तीन दिनों में ठीक हो रहे हैं। बुखार भी लंबा नहीं चल रहा है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
डॉ. सुरेश ने कहा कि कई बार हेल्दी इंसान गलती कर बैठता है। वो बुखार को हल्के में लेते हैं। न तो जांच कराते हैं और न ही आइसोलेट होते हैं। ऐेसे में बीमारी बढ़ने का भी खतरा रहता है। कई बार कोरोना की वजह से ब्लड क्लॉट बनने का भी खतरा रहता है। कुछ लोगों का इम्यून उतना रिएक्ट नहीं करता है, ऐसे लोगों को ज्यादा खतरा नहीं होता है। लेकिन कुछ लोगों में इम्यून सिस्टम रिएक्ट कर देता है, उनमें रिएक्शन ज्यादा हो जाता है। उन्होंने कहा कि कोरोना ही नहीं, कई बार सीजनल इंफ्लूएंजा भी खतरनाक हो जाता है, इसलिए संक्रमण को हल्के में नहीं लेना चाहिए। समय पर जांच व इलाज जरूर कराना चाहिए।
आकाश हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के डॉ. प्रभात सिन्हा ने कहा कि अभी तक उन्होंने जितने मरीज देखे हैं, सभी दो से तीन दिनों में ठीक हो रहे हैं। बहुत ज्यादा इलाज की भी जरूरत नहीं हो रही है। अक्सर यह देखा जा रहा है कि मरीज अपनी किसी अन्य बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहा है, उन्हें हल्की सर्दी या खांसी हो रही होती है, जांच कराने पर कोविड आ रहा है। उन्होंने कहा कि अभी गंभीर बीमारी उन्हें ही हो रही है जो पहले से बीमार हैं। हेल्दी इंसान को कोरोना का यह वेरिएंट ज्यादा बीमार नहीं कर पा रहा है। बावजूद सतर्क रहना चाहिए। बुखार हो तो जांच जरूर कराएं, खुद आइसोलेट हों, ताकि दूसरे को संक्रमण न हो।