केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा है कि देश में मौजूद होम्यो चिकित्सा पद्धति को विश्व-स्तरीय बनाने के लिये लगातार नये-नये शोध किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्ष में भारतीय चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में विकास के लिये अधो-संरचना के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय काम हुए हैं। केन्द्रीय सचिव आयुष आज भोपाल में देशभर के होम्योपैथी महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं चिकित्सकों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार को नई दिल्ली से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन आयुष परिसर एमएसीटी हिल्स के आयुष ऑडिटोरियम में किया जा रहा है।
केन्द्रीय सचिव श्री कोटेचा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय चिकित्सा पद्धति की अर्थ-व्यवस्था 21 हजार करोड़ से बढ़ कर एक लाख करोड़ रूपये से अधिक की हो गई है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी शिक्षा पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति के अनुरूप और सुधार किये जाने की आवश्यकता है। सुधार के बाद ही देश में होम्योपैथी के क्षेत्र में विश्व-स्तरीय चिकित्सकों की सेवा मिल सकेगी। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल खुराना ने कहा कि देश में चिकित्सा के क्षेत्र में होम्योपैथी के विस्तार की बहुत संभावना है। इसके लिये नीति के अनुरूप टीम भावना के साथ कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य श्री अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि देश में जन-सामान्य होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को व्यापक रूप से अपनाने की इच्छा रखते हैं। इसके लिये इसकी पहुँच बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने होम्योपैथी रिसर्च स्कॉलर को सभी तरह की मदद दिये जाने की आवश्यकता बताई। प्रमुख सचिव आयुष श्री प्रतीक हजेला ने बताया कि कोरोना संकट काल में जन-सामान्य का भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रति विश्वास बढ़ा है। उन्होंने आयुष क्योर एप में हासिल उल्लेखनीय उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योग से निरोग कार्यक्रम को मुख्यमंत्री का उत्कृष्टता पुरस्कार भी मिला है। संयुक्त सचिव श्री राहुल शर्मा ने अपने उद्बोधन में शोध के कार्यों में होम्योपैथी कॉलेज के अधिक से अधिक विद्यार्थियों को जोड़े जाने की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम में आयोग के शिक्षा, रजिस्ट्रेशन और मूल्यांकन के अध्यक्षों ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में राष्ट्रीय होम्योपैथिक आयोग के सचिव डॉ. संजय गुप्ता ने राष्ट्रीय सेमीनार के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग पहली बार केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से इस तरह का पहला सेमीनार भोपाल में कर रहा है। सेमीनार में दूसरे दिन 25 जनवरी को विभिन्न सत्रों में होम्योपैथी के क्षेत्र में विस्तार पर चर्चा होगी।