नई दिल्ली: बजट कभी राजनीति से अछूता नहीं रहा है। चुनाव से पहले हमेशा लोकलुभावन बजट की अपेक्षा की जाती है। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। फिर अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आगामी बजट कैसा हो सकता है। इसमें आम आदमी पर फोकस रहने के आसार हैं। तमाम तरह के पॉलिसी डिसीजन के जरिये सरकार की उन्हें सीधे लाभ पहुंचाने की कोशिश होगी। 2018-19 के केंद्रीय बजट को याद कीजिए। 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीण केंद्रित बजट पेश किया था। जेटली का विजन बिल्कुल साफ था। वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पांव गांवों में मजबूत करना चाहते थे। लिहाजा, उन्होंने कृषि और ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पूरी ताकत झोंक दी थी। इसके लिए बजट में भारी भरकम प्रावधान किया गया था। 2014 के आम चुनाव से पहले तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी यूपीए सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करते हुए यही दांव चला था। उन्होंने तब टैक्स छूट का दायरा बढ़ाया था। इसके जरिये 5 लाख रुपये से कम आय वालों को बड़ी राहत दी गई थी। निर्मला सीतामरण 1 फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट बजट पेश करेंगी। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि सीतारमण जेटली और चिदंबरम का दांव चलेंगी या उन्होंने अपने तरकश में कोई और तीर रखा हुआ है।