स्टॉकहोम: डेविड बेकर, डेमिस हसबिस और जॉन जंपर को बुधवार को प्रोटीन पर उनके काम के लिए रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. बेकर सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में काम करते हैं, जबकि हसबिस और जंपर दोनों लंदन में गूगल डीपमाइंड में काम करते हैं. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव हंस एलेग्रेनने पुरस्कार की घोषणा की.
नोबेल समिति ने कहा कि 2003 में बेकर ने एक नया प्रोटीन डिजाइन किया और तब से उनके रिसर्च ग्रुप ने एक के बाद एक कल्पनाशील प्रोटीन निर्माण किए हैं, जिनमें ऐसे प्रोटीन शामिल हैं जिनका उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, टीके, नैनोमटेरियल और छोटे सेंसर के रूप में किया जा सकता है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल बनाया
समिति ने कहा कि हसबिस और जंपर ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल बनाया है, जो रिसर्चर द्वारा पहचाने गए लगभग सभी 200 मिलियन प्रोटीनों की संरचना की भविष्यवाणी करने में सक्षम है. पिछले साल, रसायन विज्ञान पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को क्वांटम डॉट्स पर उनके काम के लिए दिया गया था, जो केवल कुछ नैनोमीटर व्यास के छोटे कण हैं, जो बहुत उज्ज्वल रंगीन प्रकाश जारी कर सकते हैं और जिनके रोजमर्रा के जीवन में अनुप्रयोगों में इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल इमेजिंग शामिल हैं.
14 अक्टूबर तक होगी पुरस्कार की घोषणा
बता दें कि नोबेल पुरस्कारों की घोषणाओं का छह दिवसीय सिलसिला सोमवार को शुरू हुआ, जिसमें अमेरिकी विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन ने चिकित्सा पुरस्कार जीता. मशीन लर्निंग के दो संस्थापक जॉन हॉपफील्ड और जेफ्री हिंटन ने भौतिकी पुरस्कार जीता. साहित्य पुरस्कार गुरुवार को घोषित होंगे. नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को की जाएगी और अर्थशास्त्र पुरस्कार की घोषणा 14 अक्टूबर को की जाएगी.
गौरतलब है कि पुरस्कार के निर्माता स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल द्वारा छोड़ी गई वसीयत से 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है.