स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है,कि कोई भी अपने से मुख्यमंत्री नहीं बनता, न ही बन सकता है। इसकी एक प्रक्रिया होती है। सब कुछ हाईकमान पर है वह जैसा निर्णय करे। कार्यकर्ताओं की बात को लेकर एक सवाल पर सिंहदेव ने कहा, वे चुनाव से पहले अपने भविष्य को लेकर कोई निर्णय लेंगे।
सूरजपुर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मीडिया से बातचीत की। इस दौरान सवाल हुआ कि यहां के कार्यकर्ता आप को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। अगले साल चुनाव है। ऐसे में इन कार्यकर्ताओं को कैसे मनाएंगे। जवाब में स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा, यह तो कार्यकर्ताओं पर है कि वे किस बात को लेकर काम करना चाहेंगे।
चुनाव के पहले आते तक मैं अपने भविष्य को लेकर निर्णय लूंगा। मैंने अभी इसके बारे में सोचा नहीं है। बाद में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए टीएस सिंहदेव ने कहा, भविष्य तो सबका अनिश्चित रहता है। आगे क्या निर्णय करना है, समय आने पर फैसला होता है। यहां मुख्यमंत्री की चर्चा होती रही है। वह तो है ही।
मैंने हमेशा कहा है और भूपेश जी ने भी कहा है कि वह हाईकमान के ऊपर रहता है। वह जैसा निर्णय करे। हम या भूपेश या दूसरा-तीसरा कोई भी अपने से मुख्यमंत्री नहीं बनता, ना ही बन सकता है, किसी भी दल में। वह हमारी प्रक्रिया होती है। एक प्रोटोकॉल है उस नाते तय होता है कि मुख्यमंत्री किसे बनना है। यह एक अलग बात होगी। कभी-कभी कुछ बातें ऐसी होती हैं जो नहीं होनी चाहिए लेकिन हो जाती हैं।
भाजपा को दी नसीहत, उन्हें अपना घर देखना चाहिए
सिंहदेव ने उनके बयान पर चुटकी ले रही भाजपा को भी नसीहत दी है। उन्होंने कहा, BJP वाले इसे अपने दृष्टिकोण से देखते हैं। उन्हें लगता है कहीं आग लगी है हवा दे दो। उनको इन सब से परहेज कर अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। BJP अपने काम को देखे, अपने काम को मजबूत करे। पिछली बार जो अप्रत्याशित स्थिति हुई उनके 15 विधायक ही जीत कर आ सके। मैंने भी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। आज तो 14 ही विधायक बचे हैं। इस स्थिति में उनका पूरा ध्यान उस तरफ होना चाहिए, दूसरे के घर में नहीं। मैं तो सलाह ही दे सकता हूं। बाकी उनकी जैसी इच्छा।
मुख्यमंत्री बोले, सभी अपने कार्यकर्ताओं से पूछकर निर्णय करते हैं
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी सवाल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा, सभी चुनाव लड़ने से पहले अपने कार्यकर्ताओं से पूछते हैं। बाबा साहब (टीएस सिंहदेव) ने गलत क्या कहा है? मैं भी चुनाव लड़ूंगा तब कार्यकर्ताओं से पूछूंगा कि लड़ूं या नहीं। सहयोग दोगे या नहीं। यह बहुत स्वाभाविक बात है। सीएम ने मीडिया से कहा, कि उन्होंने (सिंहदेव) कहा फैसला लूंगा, भविष्य के बारे में, चुनाव लड़ने के बारे में। इसे जबरजस्ती घुमाया जा रहा है।
मंत्री टीएस सिंहदेव विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने के लिए सूरजपुर पहुंचे हुए थे। उस दौरान उन्होंने कहा कि, वे विधानसभा चुनाव से पहले अपने भविष्य के लिए कुछ निर्णय ले सकते है। सिंहदेव ने कहा था कि, अभी मैंने कुछ सोचा नहीं है। इसके बाद ही कार्यकर्ताओं से कुछ कह पाऊंगा। उनके इस बयान से सभी के मन में यही सवाल चल रहा है कि, आखिरकार मंत्री सिंहदेव कौन सा निर्णय ले सकते है।
यह बताया जा रहा नाराजगी का कारण
स्वास्थ्य
मंत्री टीएस सिंहदेव ने जिस तरह का बयान दिया है। उसे उनकी मुख्यमंत्री
नहीं बन पाने की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। उनके निर्णय वाले बयान
को आधार बनाकर यह भी चर्चा हो रही है कि, प्रदेश में बड़ा राजनीतिक
घटनाक्रम हो सकता है। इधर कांग्रेस के अंदरखाने में चल रही लड़ाई को लेकर
बीजेपी भी बयानबाजी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
भाजपा बोली, इस बयान ने बता दिया कि कांग्रेस में क्या होने वाला
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा, सरगुजा के सूरजपुर में वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव का बयान इस बात का संकेत है कि छत्तीसगढ़ में एकला चलो की नीति चल रही है। सरकार में कोई टीमवर्क नहीं है। इसके पहले भी सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने सरकार के कामकाज की खुले तौर पर आलोचना की। जो इस बात का उदाहरण है कि स्थिति क्या है। सिंहदेव जी के बयान से यह खुले संकेत मिल गए हैं कि कांग्रेस में चुनाव के पहले क्या होने वाला है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग छोड़ा था
मंत्री टीएस सिंहदेव ने 5 महीने पहले पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री पद की जिम्मेदारी छाेड़ी थी। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेजा था। सिंहदेव स्वास्थ्य और वाणिज्यिक कर विभाग में मंत्री की जिम्मेदारी पर बने हुए हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा था कि, जिस तरह की चीजें चल रही थीं, यह तो एक दिन होना ही था। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा भेज दिया है। सिंहदेव के इस फैसले से सरकार के अंदर चल रही खींचतान सड़क पर आ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह इस्तीफा स्वीकार करते हैं अथवा नहीं यह तो बाद की बात है लेकिन इस्तीफे से सरकार और संगठन में खलबली मच गई है। बताया जा रहा है कि इसकी सूचना केंद्रीय नेतृत्व को भी भेज दी गई है।
टीएस सिंहदेव ने इस्तीफा अपने विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर से भेजा है। टीएस सिंहदेव कांग्रेस सरकार के आधार स्तंभों में से हैं। 17 दिसम्बर 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही मंत्री पद की शपथ ली थी। उस दिन मुख्यमंत्री ने केवल दो मंत्रियों टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ कैबिनेट का गठन कर सरकार की औपचारिक शुरुआत की थी। किसानों की कर्जमाफी और 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का ऐतिहासिक फैसला भी इन्हीं तीन लोगों ने मिलकर किया था। बाद में टीएस सिंहदेव के पोर्टफोलियो में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वाणिज्यिक कर (GST) और 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग को शामिल किया गया।
बीच में विधानसभा सत्र छोड़ दिया था
2021 में विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले कांग्रेस सरकार में बवंडर उठा था। रामानुजगंज से विधायक बृहस्पत सिंह ने प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि सिंहदेव उनको मारना चाहते हैं। उनके साथ 18 विधायक और भी थे। अगले दिन सत्र शुरू हुआ और विधानसभा में बवाल हो गया। आहत सिंहदेव ने सरकार की ओर से सफाई आने तक सदन में आने से इन्कार कर दिया। बाद में बृहस्पत सिंह ने अपने बयानों के लिए सदन में माफी मांगी। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने सरकार की ओर से बयान दिया कि सिंहदेव पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उसके बाद सिंहदेव विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने वापस लौटे।
विपक्ष हमलावर, कांग्रेस ने साधी चुप्पी
मंत्री के इस्तीफे के बाद कांग्रेस पदाधिकारियों ने चुप्पी साध ली थी। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने फोन बंद कर लिया था। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, अब संगठन इस मामले में क्या ही बोलेगा! वहीं भाजपा ने इसे मौके के रूप में लपक लिया। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, टीएस सिंहदेव जी ने अपने एक मंत्रालय से इस्तीफा किन कारणों से दिया है वो सब जानते हैं। इससे तो साफ है कि कांग्रेस के भीतरखाने कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा, मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसी स्थिति क्यों बन रही है।