इस्लामाबाद : भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस समय अमेरिका में हैं। सोमवार को पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स (PIIE) में दिया उनका एक बयान सुर्खियों में है। अपने संबोधन में उन्होंने पड़ोसी देश पाकिस्तान को पूरी तरह बेनकाब कर दिया। भारत से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यक समुदाय पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की तुलना में बेहतर कर रहा है। उन्होंने पश्चिमी मीडिया के दावों को खारिज करते हुए कहा, ‘भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। अगर उनका जीवन संकटग्रस्त होता या सरकार के समर्थन से उनके लिए मुश्किलें पैदा की जा रही होतीं तो क्या 1947 के बाद से मुस्लिम आबादी में इजाफा होता?’ ‘पाकिस्तान की तुलना में भारत के अल्पसंख्यक अच्छी स्थिति में हैं और फल-फूल रहे हैं’, आइए निर्मला सीतारमण के इस दावे को थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
भारत में तो बढ़े मुस्लिम, फिर पाकिस्तान में हिंदू क्यों नहीं?
सर्वे ऑफ ह्यूमन राइट्स के अनुसार, 1941 की जनगणना बताती है कि पाकिस्तान में 14 फीसदी हिंदू थे। 1951 की जनगणना में यह संख्या सिकुड़कर सिर्फ 1.3 प्रतिशत रह गई। 2022 की सेंटर फॉर पीस एंड जस्टिस पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में कुल हिंदू 22,10,566 हैं जो देश की कुल आबादी का सिर्फ 1.18 प्रतिशत है। हिंदू पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। 75 साल में भी इनकी आबादी इसलिए नहीं बढ़ी क्योंकि आए दिन हिंदू परिवारों को जबरन धर्मांतरण का सामना करना पड़ता है। कट्टरपंथी हिंदू बच्चियों को अगवा करते, उनका जबरन धर्मांतरण करवाते और फिर उनकी शादी कर देते। मीडिया रिपोर्ट्स आए दिन इस तरह की घटनाओं के बारे में जानकारी देती हैं। वहीं भारत में 1951 की जनगणना के अनुसार मुस्लिमों का आबादी 3.5 करोड़ थी जो पिछली जनगणना यानी 2011 में बढ़कर 17.2 करोड़ हो गई।
अहमदिया को गैर-मुस्लिम मानते हैं पाकिस्तानी
गैर-मुस्लिम समुदायों को छोड़ भी दिया जाए तो पाकिस्तान में अल्लाह की इबादत करने वाले भी सुरक्षित नहीं हैं। हर साल अहमदिया मुसलमानों और उनके धार्मिक स्थलों पर हमलों की कई घटनाएं दर्ज की जाती हैं। पाकिस्तान के मुस्लिम अहमदिया समुदाय के लोगों को ‘गैर-मुस्लिम’ मानते हैं। साल 2021 से अहमदिया समुदाय के पूजा स्थलों पर 30 से अधिक हमले हो चुके हैं। कई बार उनकी कब्रों को अपवित्र करने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। कई बार सोशल मीडिया पर कुरान की आयतें शेयर करने पर अहमदिया मुस्लिमों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
शिया मस्जिदों में फट रहे बम
पाकिस्तान में शिया समुदाय का हाल भी कुछ ऐसा ही है। बीते कुछ महीनों में हम पाकिस्तान की शिया मस्जिदों पर आत्मघाती हमलों की कई घटनाएं देख चुके हैं। पिछले साल पंजाब प्रांत में शिया समुदाय के एक जुलूस पर चरमपंथी इस्लामी समूह ने हमला कर दिया था जिसमें 13 लोग घायल हो गए थे। पाकिस्तानी कट्टरपंथी अक्सर ईशनिंदा कानून से शिया मुस्लिमों को निशाना बनाते हैं। इसी तरह के खतरों का सामना पाकिस्तान का हजारा मुस्लिम समुदाय भी करता है।
सुन्नी करते हैं हजारा मुस्लिम का विरोध
पाकिस्तान एक सुन्नी बहुल देश है जो हजारा जैसे अल्पसंख्यक समुदाय का विरोध करते हैं। हजारा मुस्लिम न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि अफगानिस्तान में भी सताए जाते हैं। हजारा दरअसल शिया मुस्लिमों की ही एक कौम है। ये लोग पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बसते हैं। हजारा समुदाय के लोग फारसी, मंगोलियाई और तुर्क वंश के अफगान जातीय अल्पसंख्यक हैं। पाकिस्तान में करीब 15 हजार हजारा मुस्लिम हैं जिनमें से ज्यादातर क्वेटा के आसपास रहते हैं।