ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले आवासों में 16 घनफीट रेत फ्री देने की तैयारी है। इसके लिए वाउचर जारी होगा। यह वाउचर दिखाकर ही योजना के हितग्राही अपने पास की खदान से रेत ले सकेंगे। माइनिंग काॅर्पोरेशन ने यह ड्राफ्ट बनाया है, जिसे कैबिनेट से जल्द ही मंजूरी मिल सकती है। साफ है कि चुनावी साल में सरकार अब आवास योजना के लाखों हितग्राहियों को साधने में जुट गई है।
इसका एक फायदा यह भी बताया गया है कि चूंकि आवास की लागत बढ़ गई है, यदि रेत मुफ्त मिल जाती है तो हितग्राही पर भार कम आएगा। फ्री रेत के लिए बजट की व्यवस्था भी की जा रही है। वाउचर दिखाकर स्थानीय रेत खदान से तय मात्रा में रेत ली जा सकेगी। रेत खदान के कॉन्ट्रेक्टर को भी कोई रॉयल्टी नहीं देना होगी। कॉर्पोरेशन के सूत्रों के मुताबिक 16 घनफीट रेत की मात्रा प्रधानमंत्री आवास के मानकों का अध्ययन करके बनाई गई है। योजना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए है, क्योंकि यहां हितग्राही पीएम आवासों का निर्माण खुद करते हैं। हितग्राहियों को दस्तावेजों का सत्यापन कॉर्पोरेशन के पास करना पड़ेगा। एडिशनल सेक्रेटरी माइनिंग राकेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक योजना जल्द लागू हो जाएगी।
एनवायरमेंट क्लीयरेंस अटकने से नहीं चल पाई 900 रेत खदानें, इसलिए ये बदलाव
- रेत खनन से पहले एनवायरमेंट क्लीयरेंस (ईसी) की दिक्कतों को दूर करने के लिए खनिज विभाग अब खुद ईसी लेने की तैयारी कर रहा है।
- नई रेत नीति में इसे शामिल किया जाएगा, क्योंकि पिछली बार हुए 1400 रेत खदानों के टेंडर में सिर्फ 500 से ही ठेकेदार रेत निकाल पाए।
- 30 जून 2023 के बाद फिर टेंडर होने हैं, इसलिए इस बार सरकार कोशिश में है कि सारी खदानें एक्टिव हों।
कॉन्ट्रेक्टर की बजाय अब कॉर्पोरेशन खुद लेगा एनवायरमेंट क्लीयरेंस
वर्ष 2019 में रेत के जो टेंडर हुए थे, वो जून 2022 तक के लिए थे, लेकिन कोरोना की वजह से इन्हें एक साल बढ़ा दिया गया। इसके बाद भी 900 खदानों से रेत नहीं निकल पाई। इसीलिए अब स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन रेत खदानों की एनवायरमेंट क्लीयरेंस खुद लेगा। अब तक संबंधित ठेकेदार खुद ईसी के लिए आवेदन करते हैं। स्वीकृति आने तक रेत खनन नहीं हो पाता था। रेत खनन से जुड़े एक एक्सपर्ट ने कहा कि कॉर्पोरेशन द्वारा ईसी लेने पर कुछ मुश्किलें आ सकती हैं क्योंकि हर खदान के लिए माइनिंग प्लान बनाना होगा और इस प्रक्रिया में बहुत लंबा समय लग जाएगा। हालांकि कई राज्यों में इस तरह की प्रक्रिया पहले से ही अपनाई जा रही है।
सिया, एमओईएफ से मिलती है स्वीकृति
वर्तमान में छोटी रेत खदानों की पर्यावरण स्वीकृति को स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट अथॉरिटी (सिया) मंजूरी देता है। जबकि 50 हेक्टेयर से अधिक के मामले केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तक जाते हैं। ईसी लेने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय जनसुनवाई करता है, उसके बाद ही स्वीकृति जारी होती है।
ये दिक्कत दूर होगी
2019 में जिला स्तर पर समूह बनाकर 30 ठेके दिए गए थे। बाद में कोविडकाल के कारण किस्तें नहीं भरने वाले 16 ठेके निरस्त किए गए। आठ ठेकेदारों ने खदानें छोड़ दी। होशंगाबाद और रायसेन को छोड़कर कई जगह ठेके दोबारा आवंटित हुए पर लगभग अधिकांश जगहों पर ईसी के लिए ठेकेदारों को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।