नई दिल्ली : देश की तीसरी बड़ी एयरलाइन गो-फर्स्ट (Go First Airlines) ने 3 , 4 और 5 मई के लिए अपनी सभी उड़ानों को रद्द कर दिया है। एयरलाइन ने NCLT में वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के लिए आवेदन दिया है। इसका सीधा सा अर्थ है कि एयरलाइन दिवालिया (Bankrupt) होने के कगार पर पहुंच गई है। गो-फर्स्ट ने कई बैंकों से कर्ज लिया हुआ है। इन बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और एक्सिस बैंक जैसे बड़े बैंक भी शामिल हैं। इन बैंकों को गो फर्स्ट से कुल 6,521 करोड़ रुपये लेने हैं। वहीं, गो-फर्स्ट की कुल देनदारी 11,463 करोड़ रुपये है।
गिर गए बैंकों के शेयर
गो फर्स्ट द्वारा दिवालिया प्रक्रिया के लिए दिये आवेदन के अनुसार, सेंट्र्ल बैंक ऑफ इंडिया और ड्यूश बैंक जैसे बैंक भी गो-फर्स्ट के वित्तीय लेनदारों में शामिल हैं। इसके चलते बुधवार को शुरुआती कारोबार में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 5 फीसदी से अधिक गिर गया। जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और एक्सिस बैंक के शयरों में क्रमश: 2.58%, 1.06% और 1.9 फीसदी की गिरावट दिखी।
नहीं किया डिफॉल्ट
हालांकि, गो-फर्स्ट ने अप्रैल के आखिर तक इस कर्ज में कोई डिफॉल्ट नहीं किया था। गो-फर्स्ट ने अपनी फाइलिंग में यह जानकारी दी है। फाइलिंग में कहा गया, ‘हालांकि, कॉरपोरेट आवेदक की वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए जल्द ही वह कर्ज में डिफॉल्ट कर सकता है।’
खराब इंजन को बताया जिम्मेदार
वाडिया ग्रुप के स्वामित्व वाले गो-फर्स्ट ने मंगलवार को कहा कि उसने दिवाला समाधान के लिए आवेदन किया है और अब अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा नहीं कर सकता है। इसके लिए एयरलाइन ने अमेरिकी कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी के खराब इंजन को जिम्मेदार बताया, जिसके चलते उसका 50% बेड़ा उड़ान नहीं भर पा रहा है। ईटी ने पिछले महीने एक सूत्र के हवाले से बताया था कि वाडिया ग्रुप गो-फर्स्ट में 300 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
वाडिया ग्रुप ने किया है 3,000 करोड़ का निवेश
गो-फर्स्ट ने वित्त वर्ष 2022 में अब तक का सबसे अधिक घाटा दर्ज किया था। हवाई यात्रा की बढ़ती मांग के बीच गो फर्स्ट ने अपने परिचालन के लिए सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) के तहत 600 करोड़ रुपये का लोन भी लिया था। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, वाडिया ग्रुप ने पिछले 15 महीने में एयरलाइन में करीब 3,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
11,463 करोड़ है कुल देनदारी
गोफर्स्ट के ऋणदाताओं को स्वैच्छिक दिवालियापन के लिए आवेदन करने की एयरलाइन की योजना के बारे में जानकारी नहीं थी। गोफर्स्ट की सभी ऋणदाताओं के लिए कुल देनदारी 11,463 करोड़ रुपये है। इन ऋणदाताओं में बैंक, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस, वेंडर्स और एयरक्राफ्ट लीज पर देने वाले शामिल हैं। गो-फर्स्ट ने फाइलिंग में बताया कि इस समय कंपनी के एसेट्स उसकी देनदारियों को चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।