नई दिल्ली: अगर आपकी अगले फाइनेंशियल ईयर में इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने की तैयारी है तो यह आपके काम की खबर है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया। इसमें इंश्योरेंस सेक्टर के लिए अहम घोषणा की गई है। इसके मुताबिक बीमा पॉलिसीज की मैच्योरिटी राशि पर टैक्स लगेगा। वित्त मंत्री ने कहा है कि एक अप्रैल 2023 के बाद जारी होने वाली ऐसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज की मैच्योरिटी पर टैक्स लिया जाएगा जिनका सालाना प्रीमियम पांच लाख रुपये से ज्यादा है। इसमें यूलिप (यूनिट-लिंक्ड बीमा पॉलिसीज) को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि इंश्योर्ड पर्सन की मृत्यु की स्थिति में प्राप्त होने वाली रकम पर मौजूदा टैक्स छूट की व्यवस्था बरकरार रहेगी।
वित्त मंत्री ने साफ किया कि नई व्यवस्था 31 मार्च, 2023 तक जारी इंश्योरेंस पॉलिसीज पर लागू नहीं होगी। यानी जिन लोगों के पास पहले से ही इंश्योरेंस पॉलिसी है, उन पर इस बजट घोषणा का कोई असर नहीं होगा। बजट के बाद इंश्योरेंस कंपनियों के शेयरों में 10 फीसदी तक गिरावट आई। इस प्रावधान पर जानकारों की राय बंटी हुई है। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह इंश्योरेंस सेक्टर के लिए अच्छा नहीं है। वहीं कुछ जानकारों की मानें तो सरकार ने टैक्सपेयर्स को एक इनसेंटिव दिया है। इससे वे टर्म इंश्योरेंस खरीदकर लाइफ कवरेज को दुरुस्त कर सकते हैं।
क्या कहते हैं जानकार
इकनॉमिस्ट निधि मनचंदा ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक जीवन बीमा पॉलिसी हैं जो एक अप्रैल 2023 के बाद जारी की गई हो और यदि ऐसी पॉलिसी के प्रीमियम की कुल राशि पांच लाख रुपये से अधिक है, तो मैच्योरिटी राशि पर टैक्स लगेगा। जानकारों का कहना है कि यह प्रावधान इंश्योरेंस सेक्टर के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि यह सेविंग प्रॉडक्ट्स को प्रभावित करेगा। यह हाई वैल्यू वाली प्रीमियम नीतियों को प्रभावित करेगा। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि बजट में नई कर व्यवस्था को आगे बढ़ाने के कारण इंश्योरेंस प्रॉडक्ट टैक्स सेविंग के साधन के रूप में ज्यादा आकर्षक नहीं रह गए हैं।
वहीं कुछ जानकारों की मानें तो सरकार ने टैक्सपेयर्स को एक तरह से इनसेंटिव दिया है। इससे वे टर्म इंश्योरेंस खरीदकर अपनी लाइफ कवरेज को दुरुस्त कर सकते हैं। अधिकांश टैक्सपेयर्स इससे प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि उनका सालाना प्रीमियम पांच लाख रुपये की लिमिट के नीचे ही रहेगा। यह प्रावधान कवरेज को इनवेस्टमेंट की जरूरतों से अलग करेगा। इससे निवेशकों को कवरेज और इनवेस्टमेंट दोनों से अच्छा फायदा मिलेगा। इस तरीके से पर्याप्त कवरेज हासिल किया जा सकता है।
क्या होगा फायदा
उनका कहना है कि टैक्स सेविंग के लिए निवेश की जरूरतों को स्मॉल सेविंग्स, प्रॉविडेंट फंड और ईएलएसएस के जरिए पूरा किया जा सकता है। इनमें परंपरागत लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों की तुलना में बेहतर रिटर्न मिलता है। फाइनेंशियल ईयर 2021 में यूलिप (ULIP) में भी ऐसा ही प्रावधान किया गया था। तब 2.5 लाख रुपये से अधिक के यूलिप प्रीमियम पर टैक्स की घोषणा की गई थी लेकिन लाइफ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स को इससे अलग रखा गया था। अब सरकार ने महंगी इंश्योरेंस पॉलिसीज को टैक्स के दायरे में लाने का प्रावधान किया है।
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