मध्यप्रदेश में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के 3 दिन की छुट्टी पर जाने से जनता से जुड़े काम अटक गए हैं। नामांतरण, बंटाकन और सीमांकन जैसे केस में सुनवाई नहीं हो रही है। इसलिए तारीख आगे बढ़ा दी गई है। इधर, न्यायालय और राजस्व से जुड़े मामले भी पेंडिंग हो रहे हैं।
बता दें कि प्रमोशन, नायब तहसीलदारों को राजपत्रित घोषित करने और राजस्व अधिकारियों की ग्रेड-पे एवं वेतन विसंगतियों को दूर करने जैसी मांगों को लेकर तहसीलदार और नायब तहसीलदार 20 से 22 मार्च तक छुट्टी पर है। छुट्टी का सोमवार को पहला दिन था। इस दिन उन्होंने कोई काम नहीं किया। वे जब छुट्टी पर लौटेंगे तो 23 और 24 मार्च को सरकारी अवकाश है। इन दो दिन भी जनता से जुड़े कोई काम नहीं होंगे। इस कारण पेंडिंग केस बढ़ने लगे हैं। ऑफिसों से भी सुनवाई के लिए अगले सप्ताह की ही तारीख दी जा रही है।
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि मांगों को लेकर लंबे समय से मांग कर रहे हैं। बावजूद अब तक ये पूरी नहीं की गई है। पिछले सप्ताह उन्होंने काली पट्टी बांधकर काम किया था, जबकि शनिवार-रविवार को सरकारी छुट्टी होने से काम नहीं किया। अब तीन दिन के अवकाश पर चले गए हैं।
इन कामों पर असर
तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के अवकाश पर चले जाने के कारण बंटाकन और सीमांकन जैसे अनेक काम नहीं हो रहे हैं। लाड़ली बहना योजना की मानीटरिंग में भी दिक्कतें आ रही है। भोपाल और इंदौर को छोड़ दें तो बाकी जगहों पर न्यायालयीन कार्य तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के पास ही है। अवकाश पर जाने के लिए वे भी अटक गए। भोपाल में कोलार, हुजूर, गोविंदपुरा, एमपी नगर, बैरसिया, शहर वृत्त तहसील ऑफिस में तहसीलदार-नायब तहसीलदारों की कुर्सियां खाली है।
मंत्री ने बातचीत के लिए बुलाया
इधर, सोमवार को ही मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों को राजस्व मंत्री गोविंद सिंह समेत वरिष्ठ अफसरों ने बातचीत के लिए बुलाया था। इस दौरान संघ ने अपनी मांगें मंत्री और अफसरों के सामने रखी। बताया जाता है कि मांगों को लेकर आश्वासन जरूर मिला है, लेकिन ठोस नहीं। इसलिए मंगलवार को भी छुट्टी पर रहने का फैसला लिया गया।