चंडीगढ़। लंबे समय से ड्यूटी से गैरहाजिर चल रहे पुलिसकर्मियों की नौकरी पर संकट मंडरा गया है। पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने सभी पुलिस आयुक्तों, पुलिस उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों, पुलिस महानिरीक्षकों और सभी पुलिस बटालियन के कमांडेंट से ऐसे सभी पुलिस कर्मियों का ब्योरा मांगा है। जो लंबे समय से ड्यूटी पर नहीं आ रहे। ऐसे कर्मचारियों की डिटेल भी पुलिस मुख्यालय भेजने को कहा गया है। जो विधिवत रूप से लंबी छुट्टी लेकर लापता हैं।
पुलिस ऐसे कर्मचारियों की अपने स्तर पर आंतरिक जांच कराएगी और गैरहाजिर रहने का कोई वाजिब कारण नहीं मिलने पर उनके विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।
गृह मंत्री अनिल विज ने करीब एक साल पहले 16 दिसंबर 2022 को भी तत्कालीन पुलिस महानिदेशक पीके अग्रवाल को गैरहाजिर कर्मचारियों का पूरा डाटा तलब किया था। अब नये पुलिस महानिदेशक ने गृह मंत्री के आदेशों को गंभीरता से लेते हुए गैरहाजिर चल रहे पुलिस कर्मियों की जांच पड़ताल आरंभ करा दी हैं।
मोटे तौर पर करीब डेढ़ हजार कर्मचारी ऐसे हैं, जो अलग-अलग कारणों से गैरहाजिर चल रहे हैं। हर जिले से पूरा ब्योरा आने के बाद इनकी संख्या दो हजार के आसपास भी पहुंच सकती है। इनमें सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
गृह मंत्री विज ने करीब एक साल पहले की थी गैरहाजिर चल रहे कर्मचारियों की समीक्षा
पुलिस महानिदेशक ने सभी पुलिस अधिकारियों को पत्र भेज गैरहाजिर कर्मचारियों की जानकारी मांगी है। कई कर्मचारी पांच से 10 साल तक लापता गृह मंत्री अनिल विज का मानना है कि लंबे समय तक ड्यूटी से गैरहाजिर रहने के बाद पुलिसकर्मी दोबारा नौकरी की सिफारिश करने आते हैं।
बड़े कारण और भयंकर बीमारियों को छोड़ छह माह से ज्यादा गैरहाजिर होने वाले पुलिसकर्मियों के आवेदन पर विचार नहीं होगा। गृह मंत्रालय के पास गायब हुए जिन डेढ़ हजार कर्मचारियों की प्राथमिक सूचना है। उनमें कई पुलिस कर्मचारी एक से लेकर पांच साल, 10 साल, सात साल और छह साल से भी लापता हैं।
भर्ती प्रक्रिया और ट्रेनिंग पर होता भारी खर्चा
गृह मंत्री ने विज उच्चाधिकारियों के साथ मंथन के बाद एक गाइड लाइन तैयार की है। भविष्य में छह माह से ज्यादा नौकरी से गैरहाजिर रहने वाले पुलिसकर्मियों को दोबारा रोजगार मिलने की आस छोड़नी होगी।
पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग और भर्ती प्रक्रिया पर भारी-भरकम खर्च के बाद भी सरकारी नौकरी से गैरहाजिर रहने के मामलों से जहां अनुशासनहीनता होती है। वहीं बाद में आने वाले पुलिस कर्मचारी नौकरी से गैरहाजिर रहने के कार्यकाल के दौरान का खर्चा भी सरकारी खजाने से वसूलते हैं।