समाजहित और देशहित के लिए जब आप मेहनत करते हैं और कुछ अच्छा करना चाहते हैं, तो हर कदम पर आपको विभिन्न प्रकार की आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।
बहुत सी ऐसी आलोचनाएं हैं, जिन्हे मैंने खुद मेरे समक्ष लोगों को ओपी की कार्यप्रणाली के लिए होते देखा है। लेकिन मैंने हमेशा देखा है कि जब-जब भी उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह उठाया है, तब-तब उनकी सफलता ने पलटकर जवाब अवश्य दिया है। जब वो अप्रैल मई में केला की खेती के लिए अपना खेत बनवा रहे थे, तब खेती किसानी के बड़े बड़े ज्ञाता उन्हें यही सलाह देते थे कि ये फसल गर्मी के मौसम में ग्रोथ नहीं कर पाएगी, इतना बड़ा रिस्क क्यों ले रहे हो? लेकिन उसी गर्मी के मौसम में उन्होंने केले की फसल को लगाया और न सिर्फ पौधे लगाए बल्कि आज वो पेड़ बनकर फल भी दे रहे हैं, वो भी अच्छी पैदावार के साथ।
सवाल उठाते हैं लोग कि मेरे पास जमीन नहीं है, मैं खेती कैसे करूं? मैंने कई ऐसे मेहनतकश लोग देखे हैं, जो दूसरों की जमीन किराए पर या अधिया ठेके पर लेकर भी अपना खुद का स्वरोजगार बना रहे हैं। फिर आज का युवा क्यों नहीं। जीवन के हर फैसले में ओपी वो कार्य करने का प्रयास करते हैं, जो कठिन होता है और उसे सरल बना देते हैं। आलोचनाओं को दरकिनार कर गर्मी के दिनों में पौधों की देखभाल के साथ आज वो फसल फल देने लगे हैं।