पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ित हिंदुओं की आवाज उठाने वाले जर्नलिस्ट नसरल्लाह गडानी को सिंध पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गडानी ने कुछ दिन पहले बाढ़ राहत शिविरों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने अप्पसंख्यकों के साथ फ्लड रिलीफ कैम्पों में हो रहे भेदभाव को उजागर किया था। उनका आरोप था कि शिविरों में सिर्फ मुस्लिमों को जगह दी जा रही है। इसके अलावा राहत सामग्री भी अल्पसंख्यकों को नहीं मिल रही है।
पाकिस्तान में बाढ़ से अब तक करीब 1300 लोगों की मौत हो चुकी है। 6 हजार से ज्यादा घायल हैं। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 3.5 करोड़ लोग बेघर हो चुके हैं। सिंध प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित है।
रिलीफ कैम्प्स के वीडियो से बवाल
गडानी ने पिछले हफ्ते सिंध के मीरपुर माथेलो शहर के एक राहत शिविर का दौरा किया था। एक वीडियो में उन्होंने दिखाया था कि किस तरह वहां माइनोरिटीज भेदभाव का शिकार हो रहे हैं। इस वीडियो में राहत शिविरों से बाहर किए गए हिंदुओं के दर्द को दिखाया गया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बाद में सरकार ने इसे हटवा दिया। सभी हिंदू बागरी कम्युनिटी के गरीब थे।
इस वीडियो के बाद गडानी को पुलिस ने पेश होने का नोटिस भेजा। जब वे पूछताछ के लिए पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गडानी का दावा था कि हिंदुओं के पास पीने के लिए पानी और खाना तक नहीं है। उनके भूख से मरने का खतरा है। खास बात यह है कि हिंदुओं के मंदिरों में मुस्लिमों को शरण दी जा रही है, लेकिन रिलीफ कैम्प्स से हिंदुओं को निकाला जा रहा है।
फिर भारी बारिश का खतरा
खतरा इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि पाकिस्तान का मौसम विभाग कह रहा है कि आने वाले हफ्तों में फिर भारी बारिश हो सकती है। अगर यह आशंका सच साबित होती है तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं। मुल्क करीब दो महीने तक भारी बारिश से जूझता रहा। इस दौरान सिंध और बलूचिस्तान के बड़े-बड़े होटल्स तक नहीं बचे। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं, उनके पास न भोजन है और न सिर छिपाने के लिए छत। दुनिया से मदद के तौर पर जो टैंट्स मिले हैं, उनमें ये परिवार रह रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार बाढ़ का कारण क्लाइमेट चेंज बता रही है
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अब तक यही तय नहीं कर पाई है कि कितना नुकसान हुआ है। शहबाज ने कुछ दिनों पहले कहा था कि 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। उनके प्लानिंग मिनिस्टर ने भी यही आंकड़ा बताया। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि अभी तो नुकसान का आंकड़ा तय ही नहीं किया जा सकता, क्योंकि कई हिस्से अब भी पानी में डूबे हैं।