नई दिल्ली: गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) में महंगाई ने कई साल का रेकॉर्ड तोड़ दिया है। देश की इकॉनमी खस्ताहाल है और अवाम बेहाल है। खाने-पीने की चीजों की कीमत आसमान पर पहुंच गई है। गरीब जनता को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है। लेकिन ऐसी स्थिति में भी पाकिस्तान की सरकार अपनी इमेज को चमकाने के लिए अरबों रुपये खर्च कर रही है। डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट की इकॉनमिक कोऑर्डिनेशन कमेटी (ECC) ने Sustainable Development Goals Achievement Programme (SDGs-AP) के लिए बजट आवंटन बढ़ा दिया है। पिछले साल अक्टूबर में इसका बजट 17 अरब रुपये से बढ़ाकर 87 अरब रुपये कर दिया था। बाद में इसे बढ़ाकर 90 अरब रुपये किया गया था। अब इसमें और बढ़ोतरी की गई है। इस स्कीम का इस्तेमाल सरकार अपनी इमेज चमकाने के लिए करती है।
राजनीतिक संकट के बीच अप्रैल में पाकिस्तान में महंगाई की दर 36.4 फीसदी पर पहुंच गई जो साउथ एशिया में सबसे अधिक है। यह 1958 के बाद सबसे अधिक है। इससे पहले मार्च में देश में महंगाई की दर 35.4 फीसदी थी। अप्रैल में देश में खाने-पीने की चीजों की कीमत पिछले एक साल में 47.2% तक बढ़े हैं। देश में एक किलो आटे की कीमत 185 रुपये के आसपास पहुंच गई। हालत यह है कि लाहौर में एक तंदूरी रोटी करीब 40 रुपये में मिल रही है। दूध की कीमत 250 रुपये लीटर के पार पहुंच गई है। इसी तरह चिकन की कीमत 780 रुपये, मटन का भाव 1,100 रुपये के पार चला गया है। इसी तरह देशी घी का दाम 2,500 से तीन हजार रुपये किलो तक पहुंच गया है।
डिफॉल्ट होने के कगार पर
इस बीच पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार गिर रहा है। पांच मई को खत्म हफ्ते में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 7.4 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 4.38 अरब डॉलर रह गया। यह एक महीने के इम्पोर्ट के लिए भी पर्याप्त नहीं है। विदेशी कर्ज के भुगतान के कारण पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है। हाल में Moody’s Investor Service ने चेतावनी दी थी कि आईएमएफ से लोन नहीं मिला तो पाकिस्तान डिफॉल्ट कर सकता है। इसकी वजह यह है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम है।