इस्लामाबाद : भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। अर्थशास्त्री इसके लिए पाकिस्तानी हुकूमत की गलत नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं जिनकी लिस्ट काफी लंबी है। इन नीतियों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक और अल्पकालिक, दोनों तरह से प्रभावित किया। सेना में जरूरत से ज्यादा निवेश, राजनीतिक अस्थिरता का एक लंबा दौर, चरम का भ्रष्टाचार पाकिस्तान को इस स्थिति में लेकर आया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान ने ऐसे कई फैसले लिए जो उसके ‘राजनीतिक हित’ में थे, न कि ‘आर्थिक हित’। पाकिस्तान की कंगाली पूरी दुनिया के लिए एक सबक है कि एक देश के रूप में हमें क्या नहीं करना चाहिए।
अवाम पर पड़ी भारी, चीन की यारी
पाकिस्तान और चीन की ‘महंगी’ दोस्ती की कीमत अब वहां की अवाम चुका रही है। पाकिस्तान ने अपने कुल विदेशी कर्ज 100 बिलियन डॉलर का 30 फीसदी सिर्फ चीन से लिया है। विदेशों से लिए गए कर्ज को पाकिस्तान सरकार ने जनता के बजाय निर्माण कार्य में बहा दिया। अपने ही देश में पाकिस्तान सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए संसाधन चीन के इशारों पर खर्च करती रही। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा इसका सबसे सटीक उदाहरण है। अगर सरकार इन्हीं संसाधनों का इस्तेमाल अवाम के लिए करती तो आज लोगों को बिजली की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ता।
सेना पर खर्च, जनता की रोटी का पैसा
हर देश अपनी सुरक्षा के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च करता है। लेकिन पाकिस्तान ने इस ओर जरूरत से ज्यादा पैसा झोंक दिया। इससे सेना और अधिक ताकतवर होती चली गई और जनता गरीबी के दलदल में फंस गई। यह पाकिस्तान की कंगाली की सबसे बड़ी वजह है। पाकिस्तान का राजनीतिक संकट वर्तमान मुश्किल दौर की जड़ है। देश की संसद में कोई विपक्ष नहीं है इसलिए सरकार की जवाबदेही शून्य है। पाकिस्तान की बदहाली में आतंकवाद का भी बड़ा हाथ है जिसे बरसों खुद पाकिस्तानी सेना ने बढ़ावा दिया है।