धारा 376 में सिद्धदोष मेड़ेलाल को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10,000/- का अर्थदण्ड से दण्डित किया : पल्लवी प्रकाश (न्यायाधीश)
बांदा – आज दिनांक 18 फ़रवरी 2025 को त्वरित न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम पल्लवी प्रकाश के न्यायालय में दोष सिद्ध मेड़ेलाल को अधिकतम 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
विगत वर्षो में सन् 2017 के अप्रैल की 02 तारीख को जनपद के थाना बबेरू की ग्राम पंचायत सांतर की मुकदमा वादिया सीता देवी पत्नी लल्लू ने अभियुक्त मेडेलाल के विरूद्ध पुलिस थाना बबेरू में मु०अ०सं०- 140/2017 अंतर्गत धारा 342,376,506 भा.दं.सं. में अभियोग पंजीकृत कराया गया था। जिसका घटनाक्रम संक्षिप्त रूप से इस प्रकार बयान एवं तहरीर दी गई थी। पीड़िता दिनांक 02.04.2017 दिन रविवार को बबेरू बाजार करने आई थी, समय करीब दोपहर 12.00 बजे कमासिन रोड पर कृष्णपाल उर्फ घसिला पुत्र चुनबाद व मेडेलाल पुत्र गूंगा व गूंगा पुत्र चुनबाद,ग्राम सांतर पीड़िता को मिले और पीड़िता को जबरन गाड़ी में बैठा लिया और कानपुर ले गये। वहां पर पीड़िता को बंधक बनाये रहे और तीन दिनों तक कृष्णपाल उर्फ घसिला पुत्र चुनबाद व मेडेलाल पुत्र गूंगा ने पीड़िता के साथ गलत काम (दुष्कर्म) करते रहे तथा गूंगा पुत्र चुनबाद प्रार्थिया के एतराज करने पर बहुत मारा पीटा गया।
आरोप पत्र पर दिनांक 31.01.2018 को तत्कालीन अपर मुख्य मजिस्ट्रेट,बांदा द्वारा प्रसंज्ञान लिये जाने एवं दिनांक 13.02.2018 को सत्र न्यायालय को सुपुर्द किये जाने तथा सत्र न्यायालय द्वारा इस त्वरित न्यायालय को अंतरित किये जाने के उपरान्त अभियुक्त उपरोक्त का विचारण प्रारम्भ किया गया है।संक्षेप में अभियोजन कथानक उपरोक्त घटना की प्रकृति पर ही आधारित है ।
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पंजाब राज्य बनाम प्रेम सागर एवं अन्य(2008) 3 एस.सी.सी.183 के मामले में यह अवधारित किया गया है कि दण्डादेश अपराध की प्रकृति एवं गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए पारित किया जाना चाहिए.इसमें किसी प्रकार की कोई सहानुभूति एवं लचीला रूख अपनाया जाना समाज एवं न्याय व्यवस्था के लिए नुकसानदेय होगा तथा समाज में गलत संदेश जायेगा। त्वरित न्यायालय की न्यायाधीश पल्लवी प्रकाश ने अपने फैसले के पूर्व स्पष्ट किया है कि मामले के समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों में उभयपक्ष के तर्कों को सुनने के उपरांत अपराध की गंभीरता तथा सिद्धदोष की सामाजिक,आर्थिक व शारीरिक स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए सिद्धदोष को निम्नलिखित दण्ड से दण्डित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है, जिससे न्याय के उद्देश्य की पूर्ति होगी।
दण्डादेश में सिद्धदोष मेड़ेलाल पुत्र गूंगा उर्फ केशराज को अंतर्गत धारा 376 भा.दं.सं. के अपराध हेतु 10 वर्ष के कठोर कारावास तथा मुबलिग 10,000/- रुपये (दस हजार रुपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है।
अंतर्गत धारा 342 भा.दं.सं. के अपराध हेतु 06 माह के साधारण कारावास तथा मुबलिग- 1,000/- रुपये (एक हजार रुपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है।
अंतर्गत धारा 506 भा.दं.सं. के अपराध हेतु 03 वर्ष के साधारण कारावास तथा मुबलिग- 3,000/- रुपये (तीन हजार रुपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है।
समस्त आरोपित धाराओं पर अर्थदंड का भुगतान न करने की स्थिति में सजा की अवधि में इजाफा होना सुनिश्चित किया गया है। सिद्धदोष को पूर्व में इस मामले में दौरान विवेचना व विचारण कारागार में बिताई गई अवधि धारा 428 दं.प्र.सं. के अधीन उसकी सारवान सजा में समायोजित की जायेगी तथा सभी सजायें साथ-साथ चलेंगी। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता मनोज कुमार दीक्षित एवं राम कुमार सिंह अपर जिला शासकीय अधिवक्ता(फौजदारी) की प्रभावी पैरवी से त्वरित न्यायालय का त्वरित फैसला समाज के लिए बना शुभ संदेश।
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